शनिवार, 28 नवंबर 2020

कविता:- हिन्दी भाषा हमसे है

"हिन्दी भाषा हमसे है"
हिन्दी भाषा हमसे है।
हम है उनके रक्षक।।
वक्त पे साथ दिया मेरा। 
बन के हिन्दी के अक्षर।।
हिन्दी आसान लगता बोलना। 
वो हम कहा करते थे।।
लेकिन जितना कठिन हिन्दी है।
 उतना कोई भाषा नहीं।।
हिन्दी हम लोगो के दिलो में बसा है।
हमारी रगो में दौड़ता है।।
तभी तो मेरा हिंदुस्तान बना। 
हिन्दी पर एक आंच न आने देंगे।।
हिंदी भाषा हमसे है।
हम है उनके रक्षक।।
कविः- रविकिशन कुमार, कक्षा -11th, अपना घर, कानपुर,

कवि परिचय : यह कविता रविकिशन के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक हिन्दी  है।  रविकिशन बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं।  रविकिशन को कवितायेँ लिखने में बहुत रूचि है।  

शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

कविता:- एक दूसरे के वास्ते हर इंसान बना है

"एक दूसरे के वास्ते हर इंसान बना है"
एक दूसरे के वास्ते हर इंसान बना है।
हर एक इंसान से ये संसार बना है ।।
 खुश है यहाँ तो कोई दुःख में ।  
इन्ही पंक्तियों से ही ब्रांड सजा है ।। 
जिंदगी जीने के लिए कोई परिश्रम कर रहा है। 
 जिंदगी को छीनने का सड़यंत्र रच रहा है ।।
बिना लड़े बिना दूसरों को दुःख पहुचाये।
ये संसार कहाँ खुशहल रह रहा है।।
एक दूसरे के वास्ते हर इंसान बना है। 
हर एक इंसान से ही ये संसार बना है।।
कविः- समीर कुमार, कक्षा -10th, अपना घर, कानपुर,  
 
 

गुरुवार, 26 नवंबर 2020

कविता:- मै एक विचित्र दुनियाँ में हूँ

 "मै एक विचित्र दुनियाँ में हूँ"
मै एक विचित्र दुनियाँ में  हूँ।
जो मैंने पूरी अभी देखी नहीं।।
मै एक छोटी जगह से हूँ।
जहाँ छोटे से उम्र से पल बढ़कर।।
अस्सी साल तक मुश्किल से जी पते है। 
सारी जिंदगी वही बिता देते है।।
मै एक विचित्र दुनियाँ में हूँ।
जहा शिक्षा के बिना जिंदगी अधूरी है।।
सपने तो बहुत देखे थे।
 पर वक्त ने साथ नहीं दिया।।
मै जीने की बहुत बार कोशिश की। 
पर समय के साथ बदलते रहे।।
मुझमे जीने की साहस थी।
पर खुद को खोता रहा।।
मै एक विचित्रा दुनियाँ में हूँ।
जो मैंने अभी देखी नहीं है।।
 पर कम्बखत वक्त के साथ।
मुझे अलविदा कहना पड़ा।। 
मै एक विचित्र दुनियाँ में हूँ।
कविः- शनि कुमार, कक्षा -9th, अपना घर, कानपुर,
 
कवि परिचय :- ये शनि कुमार है। जो बिहार के रहने वाले है। इस समय अपना घर हॉस्टल में रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहे है।  ये पढ़ने में बहुत अच्छे है।ये पढ़ लिखकर अपने परिवार और समाज के लिए काम करना चाहते है। इनको कविता लिखना पसन्द है।
 
 
 
 

बुधवार, 25 नवंबर 2020

कविता:- सोचता हूँ कि मै बड़ा गया हूँ

  "सोचता हूँ कि मै बड़ा गया हूँ"
सोचता हूँ कि मै बड़ा हो गया हूँ।
कहाँ गिरता था अब खड़ा हो गया हूँ।।
अपने कामों को खुद करने लगा हूँ।
जो होता है उसे परखने लगा हूँ।। 
लगता है कि मै बड़ा हो गया हूँ। 
अब अपने और अपनो के बारे में सोचने लगा हूँ।।
बेकार दौर का भी लुफ्त उठाने लगा हूँ।
अपने में खुद को महसूस करने लगा हूँ।।
लगता है मै बड़ा हो रहा हूँ। 
कविः- प्रांजुल कुमार, कक्षा -11th, अपना घर, कानपुर,


कवि परिचय :- यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं।  प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है।  प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं। प्रांजुल को बच्चों को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है।
 

मंगलवार, 24 नवंबर 2020

कविता:- पाया हमने पहली बार मौका

"पाया हमने पहली बार मौका"
पाया हमने पहली बार मौका।
स्कूल जाकर मरूंगा चौका।।  
मास्क पहन कर लूंगा सबकी मौज।  
कहा पता चलेगा उनको रोज।। 
दोस्तों से होगी हमारी मुलाकात। 
करेंगे हम एक दूसरे से वार्तालाप।।
दूरी तो होगी हमारे बिच में।
जा रहा हूँ पहले ही सोच के।।
अपनी - अपनी बात करेंगे। 
कुछ पल हम साथ रहेंगे।।
पाया हमने पहली बार मौका।
स्कूल जाकर मरूंगा चौका।।
कविः- कुलदीप कुमार, कक्षा - 9th, अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं।  कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं।  कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं।  कुलदीप अपनी कविताओं से लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं।  इनको  क्रिकेट खेलना पसंद है

सोमवार, 23 नवंबर 2020

कविता:- समय

 "समय"
इस वक्त को पकड़ना। 
 किसी  के बस में नहीं।।
वक्त के पीछे दौड़ सकते हो। 
उसके आगे नहीं।।
हर वक्त एक नया मोड़ लाती है।
हर भटकते लोग का ।।
 सहारा बन जाती है।
वक्त का पहिया कभी नहीं रुकता।।
बस आगे बढ़ता जाता है। 
  कविः- समीर कुमार, कक्षा -10th , अपना घर, कानपुर,

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है।  जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं।  समीर ने यह कविता एक गाने पर लिखी है।  समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है अपनी कविताओं से औरों को भी प्रभावित करते हैं।

शनिवार, 21 नवंबर 2020

कविता:- अब अपने को बदलना होगा




"अब अपने को बदलना होगा"
अब अपने को बदलाना होगा।
सब कुछ भूलकर आगे बढ़ाना होगा।।
जो गलतियाँ हो गयी है मुझसे।
अब जीतना होगा खुद से।।
अब अपने को बदलना होगा।
इस दुनियाँ में कभी-कभी तो रोना होगा।।
हर मुसीबत को सहना होगा।  
अब अपने को बदलना होगा।।
अब खुशियों के तरफ दौड़ना होगा।
मुश्किल राहों पर भी हसना होगा।। 
अब अपने को बदलना होगा। 
सब कुछ भूलकर आगे बढ़ना होगा।।
कविः- कुलदीप कुमार, कक्षा -9th , अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं।  कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं।  कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं।  कुलदीप अपनी कविताओं से लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं।  इनको  क्रिकेट खेलना पसंद है। 
 

शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

कविता:- फिर भी फूल मुस्कुराता है

"फिर भी फूल मुस्कुराता है" 
 
जितने भी कांटे हो पेड़ों में।
गिर जाते पत्ते हवा के अंधेड़ो में।।
पानी के लिए तरस जाये।
बिना छाँव के धूप में ही रह जाये।।
फिर भी फूल मुस्कुराते है।
पेड़ों की डालियाँ चर-चराने लगे।।
कोयल बैठ गुनगुनाने लगे।
 पत्तियाँ पेड़ को छोड़ जाने लगे।।
 पेड़ फिर भी भँवरों को बुलाता है।
फूल हमेश मुस्कुराता है।।
मीठी शहद से लेकर शहीद तक जाता है।
बिना रोये पैरों तले कुचला जाता है।।
कभी दो जोड़ो को माला बन मिलाता है।
कभी कचरे के ढेर में सिमट जाता है ।।
फिर भी फूल मुस्कुराता  है। 

कविः-प्रांजुल कुमार, कक्षा - 11th, अपना घर, कानपुर,
 
 


कवि परिचय :- यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं।  प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है।  प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं। प्रांजुल को बच्चों को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है।

गुरुवार, 19 नवंबर 2020

कविता:- आज और कल बनेगा मेरा बेहतर

 "आज और कल बनेगा मेरा बेहतर" 
आज और कल बनेगा मेरा बेहतर।
बस समय का इंतजार है।।
जब होंगे कामयाब एक दिन। 
तो सारा दुनियाँ देखेगा।।
 बस हिम्मत का हथियार चाहिए।
आगे बढ़ाने के लिए।।
 चाहे जीतनी मुश्किले क्यों न हो।
हम होंगे कामयाब एक दिन।।
आज और कल बनेगा मेरा बेहतर। 
बस समय का इंतजार है।।
जब होंगे हाथो में कलम।
दरवाजा खुलेगा कामयाबी का एक दिन।।
हम होंगे कामयाब एक दिन।
कविः- शनि कुमार, कक्षा -9th अपना घर, कानपुर,
कवि परिचय :- ये शनि कुमार है। जो बिहार के रहने वाले है। इस समय अपना घर हॉस्टल में रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहे है।  ये पढ़ने में बहुत अच्छे है।ये पढ़ लिखकर अपने परिवार और समाज के लिए काम करना चाहते है। इनको कविता लिखना पसन्द है।

बुधवार, 18 नवंबर 2020

कविता :- कभी ख्वाबों में न देखा था

 "कभी ख्वाबों में न देखा था"
कभी ख्वाबो न देखा था।
न कभी सपनो में सोचा था।।
ये समाज कितना अलग है।
छुआ - छूत अमीरों का  बोलबाला है।।
कई प्रकार के लोग है यहां पर। 
कुछ दयालू और कुछ कठोर दिल रहते यहां पर।।
राजनीति का बोलबाला है। 
जो बाहुबली वही सरकार बनाने वाला है।।
जो जाति धर्म पर लड़वाने वाला है। 
शिक्षा स्वास्थ पर करवाते न काम।।
 गरीबी बेरोजगारी का मचा कोहराम। 
इन सब पर कोई न करवते काम।।
सारे पैसे हजम कर जाते।
गरीब असहाय भूखे  मर जाते।।
कभी ख्वाबों में न सोचा था। 
कभी सपनों में न देखा था।।
कविः- नितीश कुमार, कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर,
 
कवि परीचय : शांत स्वभाव के नितीश कुमार बिहार के नवादा  जिले से अपना घर में पढ़ाई के लिए आये  हैं। इन्हें कविता लिखना पसंद है।

 
 

मंगलवार, 17 नवंबर 2020

कविता:- मै अपने रास्तों पर चल सकता हूँ

"मै अपने रास्तों पर चल सकता हूँ"
मै अपने रास्तों पर चल सकता हूँ।
हर मौसम के जैसा ढल सकता हूँ ।।
हाथों की लकीरो पर नहीं।
अब मै खुद पर भरोसा कर सकता हूँ ।।
कभी जो उचाईयों को देखकर डरा था। 
पर अब चढ़ सकता हूँ ।।
कभी जो मुसीबत को देखकर डरा था।
पर अब लड़ सकता हूँ।।
मै  उड़ते -उड़ते गिरु तो कोई गम नहीं। 
पर मै आगे बढ़ सकता हूँ ।।
भले ही मेरा कोई ठिकाना ना हो।
पर कही भी आसियाना बना कर रह सकता हूँ ।।
मै एक मुसाफिर हूँ मुझे चलना पड़ेगा।
इन काटो भरे रहो पर ।।
मै अपने रास्तों चल सकता हूँ।
कविः -देवराज कुमार, कक्षा -10th , अपना घर , कानपुर ,
 

कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं।  और अपना घर में रहकर  ये पढ़ाई कर रहे हैं।  देवराज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं। | देवराज डांस बहुत अच्छा कर लेते हैं। और साथ ही साथ  अच्छी कवितायेँ भी लिख लेते हैं।

गुरुवार, 12 नवंबर 2020

कविता :- वो दिन आज याद आते है

"वो दिन आज याद आते है"
वो दिन आज याद आते है।
जब हम साथ पढ़ा करते थे।।
जब हम साथ में खेला करते थे।
वो दिन आज याद आते है।।
जब हम एक दूसरे से लड़ा करते थे।
दोस्तों में भी क्या बात होती थी।।
मौज मस्ती दिन - रात होती थी।
रोने  और रुलाने वाले और कोई नहीं होते थे।।
सबके पीछे अपना यार होते थे।
 वो दिन आज याद आते है।।
कविः -शनि कुमार, कक्षा -9th ,अपना घर, कानपुर,
कवि परिचय :- ये शनि कुमार है। जो बिहार के रहने वाले है। इस समय अपना घर हॉस्टल में रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहे है।  ये पढ़ने में बहुत अच्छे है।ये पढ़ लिखकर अपने परिवार और समाज के लिए काम करना चाहते है। इनको कविता लिखना पसन्द है।

बुधवार, 11 नवंबर 2020

कविता:- शर्दी का मौसम है लाजवाब

"शर्दी का मौसम है लाजवाब"
शर्दी का मौसम है लाजवाब।
मै बैठा धूप में सूर्य को ताप।।
रोज सुबह नहाना लगता है बेकार।
ठण्ड से हो जाता मेरा शारीर बेजान
दाँत मेरे किट -किटाते रहते।
जबकि बैठा मै सूरज के नीचे।।
आग जलाओ तो राहत मिलती।
बाहर घूमो तो शर्दी लगती।।
छींक -छींक कर सब हो जाते परेशान।
ओढ़े बैठे सब कमबल तान।।
शर्दी का मौसम है लाजवाब।
मै बैठा धूप में सूर्य को ताप।।
कविः - कुलदीप कुमार, कक्षा -9th ,अपना घर, कानपुर,

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं।  कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं।  कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं।  कुलदीप अपनी कविताओं से लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं।  इनको  क्रिकेट खेलना पसंद है। 

 

मंगलवार, 10 नवंबर 2020

कविता :-क्या यही इंसानियत है

"क्या यही इंसानियत है"
क्या यही इंसानियत है।
बेवस को देखकर मुँह मोड़ लेना।।
रिश्तों में धोखा-धड़ी।
जरुरत में अकेले छोड़ देना।।
खुद की ख़ुशी के खातिर।
दूसरों को झकझोर देना।।
अपनी बात मानाने के लिए। 
लोगो पर दबाव देना।।
न मानने पर हाथ छोड़ देना। 
दूसरों की परवाह किये बिना।।
अपनी मनमानी करते रहना।
किसी का मजे लेकर।।
उसे शर्मिन्दगी महसूस करना।
बस पूछना चाहता हूँ ।।
क्या यही इंसानियत है।
कविः-देवराज कुमार ,कक्षा -10th ,अपना घर ,कानपुर ,

कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं।  और अपना घर में रहकर  ये पढ़ाई कर रहे हैं।  देवराज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं। | देवराज डांस बहुत अच्छा कर लेते हैं। और साथ ही साथ  अच्छी कवितायेँ भी लिख लेते हैं।



सोमवार, 9 नवंबर 2020

कविता :- मुझे हर अमीरों को ये बताना है



 "मुझे अमीरों को ये बताना है"
मुझे हर अमीरों को ये बताना है।
जिनके घरों में भरा खजाना है।।
जाकर झलक तो मार एक बार।
जिन गरीबों के पास ना खाना है।।
मुझे हर अमीर को ये बताना है।
जिनके बैगों में भरा खजाना है ।।
युही उनको खली पेट सो जाना है।
इनके दर्द को किसने जाना है ।।
मुझे हर अमीर को ये बताना है।
 जिनके बैगों में भरा खजाना है।।
उन बच्चो को मुझे बचाना है।
जो शिक्षा से बेगाना है।।
उन हाथो को कॉपी किताब से सजाना है।
मुझे हर अमीर हर को  बताना है।।
 जिनके बैगो में भरा खजाना है।
कविः - विक्रम कुमार ,कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई है।  विक्रम बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं। विक्रम को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है। और वह अपनी प्यारी -प्यारी कविताओं एकत्रित कर उन्हें एक किताब में प्रकाशित करवाना चाहता है।  विक्रम एक रेलवे डिपार्टमेंट में काम करना चाहते हैं।

शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

कविता :- अधमरा बगुला

 "अधमरा बगुला"
मेरे यहाँ मिला एक अधमरा बगुला।
आँखों में डर पंख से बेबस झाड़ियो में छुपा हुआ।।
दिया एक कीड़ा उसने मन किया।
प्यास लगी तो खुद पानी पिया।।
खुद को पंखो से लचर हौसलो से बेबस पाया।
अपने पंखो से नीराश झाड़ियों में छिपा हुआ।।
पूरा दिन बिताया आँखों में आश लिया हुआ।
भूख लगी तो खुद खाना खाया।।
प्यास लगी तो पानी पिया।
फिर सहम कर बैठ गया झड़ी में।।
मनो इंतजार कर रहा हो मौत का।
आखिर वो घड़ी आ ही गयी और वो चला गया।।
कविः -प्रांजुल कुमार ,कक्षा -11th ,अपना घर ,कानपुर ,


कवि परिचय :- यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं।  प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है।  प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं। प्रांजुल को बच्चों को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है।

गुरुवार, 5 नवंबर 2020

कविता :-भीगी बिल्ली आ घुसी घर

"भीगी बिल्ली आ घुसी घर"
भीगी बिल्ली आ घुसी घर। 
भागी सबसे पहले रसोई घर।।
इधर उधर सर उठा के।
झपटा दूध के बर्तन पर।।
पर दूध का बर्तन था खली। 
भूख से बढ़ चली खलबली।।
 ढूंढने लगी दूध इधर उधर।
गिर गए बर्तन दरवाजे पर।।
आहाट पाकर नानी जगी।
पहुंची रसोई घर भागी -भागी।।
फिर बिल्ली ने खूब भगदड़ मचायी। 
इधर उधर फांदकर अपनी जान बचायी।।
नानी भी पीछे दौड़ लगायी।
जान बचाकर बिल्ली राहत पायी।।
अब न खाऊंगा दूध मलाई।
जान बची तो लाखो पायी।।
लौटकर घर ना आऊंगा भाई।
भीगी बिल्ली आ घुसी घर।।
लगी ढूंढने रसोई घर।
कविः -शनि कुमार ,कक्षा -9th ,अपना घर,कानपुर,
कवि परिचय :- ये शनि कुमार है। जो बिहार के रहने वाले है। इस समय अपना घर हॉस्टल में रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहे है।  ये पढ़ने में बहुत अच्छे है।ये पढ़ लिखकर अपने परिवार और समाज के लिए काम करना चाहते है। इनको कविता लिखना पसन्द है।
 

बुधवार, 4 नवंबर 2020

कविता :-पानी जीवन का एक श्रोत है

"पानी जीवन का एक श्रोत है"
पानी जीवन का एक श्रोत है। 
होता उपयोग घर में रोज है।।
बिना पानी के खाना नहीं बनता।
बिना पानी के बर्तन नहीं धुलता।।
हर काम में लगता है पानी।
प्यासो का प्यास बुझाता है पानी।
पेड़ पौधो में हरियाली लता है पानी ।।
दिन- दोपहर उपयोग होता है पानी।
फसलों को उगाने मे महत्वपूर्ण।
 भूमिका निभाता है पानी।।
अपना काम अच्छे से कर जाता है पानी।
पानी बिना जीवन है अधूरा ।।
 मिल जाये अगर तो हो जाये पूरा। 
पानी जीवन का एक श्रोत है।।
होता उपयोग घर में रोज है।
कवि:- नितीश कुमार ,कक्षा -10th ,अपना घर ,कानपुर ,
कवि परीचय : शांत स्वभाव के नितीश कुमार बिहार के नवादा  जिले से अपना घर में पढ़ाई के लिए आये  हैं । इन्हें कविता लिखना पसंद है

सोमवार, 2 नवंबर 2020

कविता :-काली झुलफो सा सहलाता मौसम

"काली झुलफो सा सहलाता मौसम"
काली झुलफो सा सहलाता मौसम।
दूर करने आयी है सरे गम।।
बहती पवन में पानियो सा किलकार।
जो सैर कर आयी पूरा संसार।।
हर तरफ है बस मैसम का बहार।
हवाएं पेड़ो को झकझोरती है।।
पत्तों को बिखेरती है।
मेरे ख्यालो को को भटकाकर बहती रहती है।।
हवा के झरोखो से पत्तियाँ आपस में लड़कर।
टूट बिखर जाती है।।
 पर आह की आवाज तक नही आती है।
हवा के चलने से गूंजती है सरसराहट की आवाज।।
मनो गीत गए रही हो पत्तियाँ एक साथ।
काली झुलफो सा सहलाता मौसम।।
दूर करने आयी है सरे गम। 
कविः देवराज कुमार ,कक्षा -10th ,अपना घर , कानपुर ,


कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं।  और अपना घर में रहकर  ये पढ़ाई कर रहे हैं।  देवराज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं। | देवराज डांस बहुत अच्छा कर लेते हैं। और साथ ही साथ  अच्छी कवितायेँ भी लिख लेते हैं।