बुधवार, 30 अक्टूबर 2019

कविता : मेरा पन्ना

" मेरा पन्ना "

ऐसा क्या हो जाता है,
जब नम्बर कम आता है | 
मैं भी क्या सोचूँ ,
जो हर पल गलत ही लगता है | 
हर पन्ने को मैंने सजाया,
विचारों को उसमें समाया | 
सोचा न था हो जाएगी गलती,
इतना पढ़ा फिर भी मिला रददी |
हर शिक्षक के तने हैं पड़ते,
मैं भी जानूँ क्या की वे मुझसे जलते | 
हर पन्ने में चलता है लाल - लाल,
लगता है मैंने कर दिया कुछ बेहाल | 
ऐसा क्या हो जाता है, 
जब नम्बर कम आता है | 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप ने यह कविता अपने एक पन्ने पर लिखी है जिसका शीर्षक " मेरा पन्ना " हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं |    

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