मंगलवार, 13 दिसंबर 2022

कविता: "पढ़ते - पढ़ते"

 "पढ़ते - पढ़ते"
 मैं पढ़ते - पढ़ते ,
किताबों की यादो  में खो गया ।
खोए हुए यादों में देखा की ,
रो - रो के किताबों को भिगो दिया ।
खेला, नाचा और खूब खाया ,
जितना हो सका उतना शोर मचाया ।
लेकिन जब यादों से बाहर आया ,
तो मैंने किताबों को फैला हुआ पाया ।
फिर मैं सोंच में पड गया ,
पता चला की ये उसका कारण है जब ।
 मैं पढ़ते पढ़ते ,
किताबों की यादों में खो गया ।
कवी: गोविंदा कुमार, कक्षा: 6th 
अपना घर 

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