बुधवार, 21 दिसंबर 2022

कविता:"माँ से प्यार"

"माँ से प्यार"
दिल में प्यार न हो तो 
सिर्फ एक दिल सूना लगता है 
लेकिन जिसने माँ तुम्हें  
जिंदगी भर चाहा 
उसके बिना पूरा जीवन अधूरा लगता है 
बहुतों को किसी और से 
प्यार करना अखरता है 
कुछ का व्हाट्सप पर जब मैसेज आता है 
तो मन खुश  हो जाता है 
पर जब मम्मी  का कॉल आता है तो 
पूरे दिन याद आता है
क्योंकि प्यार तो बड़े होकर  करते हैं 
पर बड़ा तो माँ ने किया है 
जिसने तुम्हारे लिए जिंदगी भर 
अपना योगदान दिया है 
 कवी: महेश कुमार ,कक्षा: 8th 
अपना घर

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2022

कविता: " हर मुकाबला "

" हर मुकाबला "

पैरों तले दरार पड़े हैं ,

पर फिर भी सीना तान खड़े हैं ।

आपदा से  लड़ने के लिए ,

जीत की ऊंचाई  चढ़ने के लिए ।

लौट जा तू निराले ,

अब हम न हार मानने वाले ।

चाहे कर दे ऊँची मुश्किलों की  दीवार ,

पर फिर भी कर देंगे हम उसको पार ।

एक नहीं,दो नहीं,

हम करोड़ों से लड़ जाएंगे ।

हर मुकाबला हम जीत के दिखाएंगे ।

कवी: देवराज कुमार, कक्षा; 12th 

अपना घर

मंगलवार, 13 दिसंबर 2022

कविता: "पढ़ते - पढ़ते"

 "पढ़ते - पढ़ते"
 मैं पढ़ते - पढ़ते ,
किताबों की यादो  में खो गया ।
खोए हुए यादों में देखा की ,
रो - रो के किताबों को भिगो दिया ।
खेला, नाचा और खूब खाया ,
जितना हो सका उतना शोर मचाया ।
लेकिन जब यादों से बाहर आया ,
तो मैंने किताबों को फैला हुआ पाया ।
फिर मैं सोंच में पड गया ,
पता चला की ये उसका कारण है जब ।
 मैं पढ़ते पढ़ते ,
किताबों की यादों में खो गया ।
कवी: गोविंदा कुमार, कक्षा: 6th 
अपना घर 

सोमवार, 12 दिसंबर 2022

कविता :"अपना घर "

"अपना घर "

अपना घर हैं अपना,

यहाँ रहकर कर सकते हैं ।

पूरा अपना सपना,

पढाई का माहौल है यहाँ ।

यहाँ से अच्छा जगह है कहाँ ?

चारों ओर हैं पेड़ पौधे ।

गमलों में उगे हैं फूल यहाँ,

यहाँ के बच्चे बड़े प्यारे ,बड़े न्यारे ।

जो खुद करते हैं काम सरे,

साफ-सफाई का रखते हैं ध्यान । 

बड़ों न कभी अपमान ।

कवी: अप्तर हुसैन, कक्षा: 5th 

अपना घर  

 

 



रविवार, 11 दिसंबर 2022

कविता: "कौन है वो जिसने बनाया है मेरा संसार "

"कौन है वो जिसने बनाया है मेरा संसार "

कौन है वो जिसने बनाया है मेरा संसार,

कौन है वो जो सिखाता जीने को संसार । 

रास्ते है जैसी कर देती आसान,

 आगे हमें बना देती महान ।

मेरे अँधेरे संसार मे फैला देती उजाला,

क्या कहूँ मै उसे मंदिर या पाठशाला ।

 जब कठिनाइयों से भरा हो यह जमाना,

तब ये सिखाते मुझको ।

इनका तो लगा रहता आना है आना जाना।

 है कहते है इसको ,

ईटा या फिर दीवार । 

 कौन है वो जिसने बनाया है मेरा संसार,

रास्ते है जैसी कर देती आसान । । 

कवी: नीरू कुमार, कक्षा: 6th  

अपना घर

शनिवार, 10 दिसंबर 2022

कविता: "भरोसा"

  "भरोसा"
भरोसा एक ऐसा शब्द है जो,
धन,दौलत से खरीदा नहीं जा सकता ।
न तो इसे बेंचा जा सकता ,
कई जन्म लग जाते हैं ।
किसी पर भरोसा करने को,
जैसे ही  भरोसा टूट जाता है । 
एक पल में रिश्ता टूट जाता है,
भरोसा एक भयंकर शब्द है ।
 खरीदा नहीं जा सकता ।
कवी: सार्थक कुमार, कक्षा:12वीं 
अपना घर

शुक्रवार, 9 दिसंबर 2022

कविता: "सवाल तो आते हैं मन में हजार"

 "सवाल तो आते हैं मन में हजार"
सवाल तो आते हैं मन में हजार,
जो कर देते हैं मुझे लाचार ।
सोंचने में मजबूर हो जाता हूँ ,
कि किस-किस का दूँ जवाब । 
हाँ  एक-दो सवाल हों तो,
शायद  दूँ अपने खयाल ।
पर इन सब चीजों से ,
आखिर कब तक उलझा रहूँगा यार ।
मैं बातें करता हूँ अपने आप से ,
ताकि सुन न ले कोई मेरे विचार ।
सवाल तो आते हैं मन में हजार ,
जो कर देते हैं मुझे लाचार ।
कवी: सुल्तान ,कक्षा: 8वीं 
अपना घर

गुरुवार, 8 दिसंबर 2022

कविता:"मेहनत की कमाई का एक रुपया "

"मेहनत की कमाई का एक रुपया  "

मेहनत की कमाई का  एक रुपया ,

सौ रूपए की कीमत को चुकता  है।

आपकी हर जरूरतों को पूरा करता  है।

मेहनत से कमाया  गया रुपया ,

आपके  हर अरमानों को पूरा करता  है।

 कमाए गए रुपयों पर  किसी का दबाव नहीं रहता,

मेहनत की कमाई का  एक रुपया ,

सौ रूपए की कीमत को चुकता  है।  

जो आपको गरीब से अमीर बना देता है।  

मेहनत की कमाई का  एक रुपया ,

सौ रूपए की कीमत को चुकता  है। ।  

कवी: अमित कुमार ,कक्षा: 8वीं 

अपना घर 


शनिवार, 3 दिसंबर 2022

कविता: "रोशनी"

"रोशनी"
इस रोशनी में भी मुझे ,
अँधेरा सा लगने लगा है।
ये ढालता सूरज भी मुझे अब ,
साथ देने लगा है।
कम्बख्त भी मेरे साथ,
क्या खेल खेला है।
जहाँ मुझे खड़ा होना था,
वहां मुझे गिरा दिया है ।
जिस तरह सूरज शाम को,
ढल जाने का इन्तजार करता है।
उसी तरह ढल जाने की राह में हूँ ।

कवी: सनी कुमार , कक्षा : 11वीं
अपना घर