रविवार, 9 जनवरी 2022

कविता : "चाह होती है "

"चाह होती है "

चाह होती है | 

सभी के दिलों में ,

कठिन से कठिन | 

मंजिले पाने की ,

सपनो को सजाए रखे है | 

अपने दिलों में सपनो से ही आगे बढ़ने की ,

चाह होती है ,

सभी के दिलो में | 

कवि : गोपाल कुमार , कक्षा : 4th 

अपना घर

1 टिप्पणी:

i b arora ने कहा…

चाह होगी तो राह भी मिल जायेगी