"चलना सिखाया "
कभी बचपन में मम्मी ने उँगली |
पकड़ कर चलना सिखाया तो ,
कभी पापा ने |
जब सहारा मिला मम्मी -पापा का तो ,
घुटने पर गुड़कर चलना सिखा तो |
कभी टीचर ने कदम पे कदम मिलाकर ,
चलना सिखाया तो |
कभी भैया लोगों ने जीवन की राह पर ,
चलना सिखाया तो |
कभी दोस्तों ने उत्साह बढ़ाया ,
कुछ कर के दिखाने का |
कवि : सनी कुमार ,कक्षा : 10th
अपना घर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें