सोमवार, 6 सितंबर 2021

कविता : "चलना सिखाया "

"चलना सिखाया "

कभी बचपन में  मम्मी ने उँगली | 

पकड़ कर चलना सिखाया तो ,

कभी पापा ने | 

जब सहारा मिला मम्मी -पापा का तो ,

घुटने पर गुड़कर चलना सिखा तो | 

कभी टीचर ने कदम पे  कदम मिलाकर ,

चलना सिखाया तो | 

कभी भैया लोगों ने जीवन की राह पर ,

चलना सिखाया तो | 

कभी दोस्तों ने उत्साह बढ़ाया ,

कुछ  कर के दिखाने का | 

कवि : सनी कुमार ,कक्षा : 10th 

अपना घर

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