" भोर -भोर की है बात "
भोर -भोर की है बात |
मै सोया था घर में टांग पसार ,
हल्की सी रौशनी आ रही थी |
मेरे चेहरे के पास ,
मीच कर मै सोया आँख |
बाहर चिड़ियाँ कर रही थी बात ,
मचा -मचा कर शोर |
भर दिये थे मेरे कान ,
कह रही थी उठ जा जवान |
कितनी सुन्दर सुबह है ,
मत कर तू इसे बर्बाद |
इससे कुछ सीख जाऐगा ,
मन कुछ नया लक्ष्य बनाएगा |
कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 11TH
अपना घर
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