" धूप को देककर मौसम बदल कर "
धूप को देककर मौसम बदल कर |
आया जब सब बादलजम कर ,
लगे दिखाने अपना रंग -रूप |
कहाँ चला गया न नजर आए थोड़ी भी धूप ,
हवाओं के संग उड़ता चला आया |
हर घर और खेत में छा गया ,
गरज -मलक कर खूब वह बरसा |
रात -दिन को कुछ भी न समझा ,
टीप -टिप और छम -छम की आवाजे आती रहीं |
धूप को देककर मौसम बदल कर ,
आया जब सब बादल जम कर |
कवि : पिन्टू कुमार , कक्षा : 6th
अपना घर
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