"यह बहती हुई हवा"
यह बहती हुई हवा।
आसमान को छूती है।।
यह लहराती हुई हवा।
पर्वतों को चूमती है।।
यह सनसनाती हुई हवा।
कानो को कुछ कह जाती है।।
यह चलती हुई हवा।
न जाने कहाँ चली जाती है।।
सिर्फ महसूस कराती है।
मेरे घर तक चली आती है।।
यह लहराती हुई हवा।
जाने कहाँ चली जाती है।।
कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा - 6th , अपना घर, कानपुर
कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है। जो की बिहार के
रहने वाले हैं। सुल्तान कवितायेँ बहुत अच्छी लिखतेहैं। सुल्तान पढ़ाई के
प्रति बहुत ही गंभीर रहते हैं।
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