"हाथ पाँव हमारे काँप रहे हैं"
हाथ पाँव हमारे काँप रहें हैं।
अब हर जगह आग तप रहें हैं।।
स्वेटर टोपी मोजा पहने।
अब कहीं घूमने न निकलें।।
सर सर ठंडी हवा का झोका।
चलते-चलते कहीं उड़ जायें न टोपा।।
अपने को बचाना पड़ जाता है मुश्किल।
जम गए हैं दुनियाँ के सारे झील।।
कट-कट की आवाज निकल रही है।
शर्दी में दाँत-दाँत को काट रही हैं।।
हाथ पाँव हमारे काँप रहें हैं।
अब हर जगह आग ताप रहें हैं।।
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