"मै अनजान हूँ"
मै बहुत अनजान हूँ।
अपने इस दुनियाँ से।।
न समझ है मुझमें।
न समझ है कदर की।।
खुद से ही मैं परे हूँ।
अपनी इस दुनियाँ में।।
मोहलत और दुःख दोनों।
खुशियों की बात करते है।।
इस अनजान दुनियाँ में।
जहाँ इंसानों की कदर नहीं।।
वहाँ दुनियाँ का मेला कैसा।
मै बहुत अनजान हूँ।।
अपने इस दुनियाँ से।
देख ख़ामोशी और पत्थर को।।
गले से लगा लूँ मैं।
मैं बहुत अनजान हूँ ।।
अपने इस दुनियाँ से।
न समझ है मुझमें ।।
न समझ है कदर की।
अपनी इस दुनियाँ में।।
कविः- शनि कुमार, कक्षा -9th, अपना घर, कानपुर,
कवि परिचय :- ये शनि कुमार है। जो बिहार के रहने वाले है। इस समय अपना घर
हॉस्टल में रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहे है। ये पढ़ने में बहुत अच्छे है।ये
पढ़ लिखकर अपने परिवार और समाज के लिए काम करना चाहते है। इनको कविता लिखना
पसन्द है।
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