"कितना सुहावना मौसम"
कितना सुहावना मौसम।
आज मैंने देखा।।
लाल सूर्य सुबह की।
और बनी थी रेखा।।
चिड़िया अपने घरों को छोड़कर।
जा रही थी किसी और ओर।।
मछुआरे निकले नदी की ओर।
तालाब में फेक बंसी की डोर।।
बच्चे लेकर बस्ते।
चले स्कूल के रस्ते।।
चाय,टोस्ट और सुबह के नास्ते।
चल देते हैं स्कूल के वास्ते।।
कितना सुहावना मौसम।
आज मैंने देखा।।
कविः -प्रांजुल कुमार ,कक्षा -11th ,अपना घर ,कानपुर ,
4 टिप्पणियां:
जितना सुन्दर मौसम उतना ही मनोरम चित्र खींच दिया है तुमने - वाह!
Dhanyvad sir
बहुत सुंदर । वाह
नन्हे कवि प्रांजुल को उज्जवल भविष्य की हार्दिक शुभकामनाएं। बहुत सुंदर रचना 👌👌
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