मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

कविता:- कितना सुहावना मौसम

"कितना सुहावना मौसम"
कितना सुहावना मौसम।
आज मैंने देखा।।
लाल सूर्य सुबह की।
और बनी थी रेखा।।
चिड़िया अपने घरों को छोड़कर।
जा रही थी किसी और ओर।।
मछुआरे निकले नदी की ओर।
तालाब में फेक बंसी की डोर।।
बच्चे लेकर बस्ते।
चले स्कूल के रस्ते।।
चाय,टोस्ट और सुबह के नास्ते।
चल देते हैं स्कूल के वास्ते।।
कितना सुहावना मौसम।
आज मैंने देखा।। 
   कविः -प्रांजुल कुमार ,कक्षा -11th ,अपना घर ,कानपुर ,

कवि परिचय :- यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं।  प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है।  प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं। प्रांजुल को बच्चों को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है।

4 टिप्‍पणियां:

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

जितना सुन्दर मौसम उतना ही मनोरम चित्र खींच दिया है तुमने - वाह!

BAL SAJAG ने कहा…

Dhanyvad sir

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुंदर । वाह

Anuradha chauhan ने कहा…

नन्हे कवि प्रांजुल को उज्जवल भविष्य की हार्दिक शुभकामनाएं। बहुत सुंदर रचना 👌👌