शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018

कविता : जिसे मैं देख न सका

" जिसे मैं देख न सका "

क्या वो चीज है,
जिसे मैं देख नहीं सका |
आँखों के पलकों से गुजर गया,
 ये ठंडी हवा का झोका था |
जिसे मैं देख न सका | |
चन्द्रमा जैसी मुस्कान थी,
खुशियों की बौछार थी |
जिसे मैं देख न सका |
ये माँ का गोद था,
जिस पर मैं खो गया था |
जिसे मैं देख न सका | |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर



मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

poem : life

" Life "

In a dark room,
our life is locked. .
in which we strike,
when we will try to walk.

in this bad situation,
can you survive.
it's worse imagination,
a life without a goal.
it like a person sitting,
in a corner of floor wall.
in which not innovation of soul,
for example as a playing doll.

Poet : Devraj  kumar , Class : 8th , Apna Ghar




Introduction : This poem is belongs to Devraj of clas 8th .  He is such a nice guy he always try to find new things which other one thought normally . He interested in science and recently he made a speaker for their dance practice .


रविवार, 16 दिसंबर 2018

कविता : गर्मी

" गर्मी "

ये तपती हुई गर्मी,
जैसी उलग रही हो आग |
दिन पे दिन बढ़ता है पारा,
इस गर्मी में क्या करें |
ये मनुष्य भी बेचारा,
दिन भर मनुष्य करते काम |
न धूप का पता,
न गर्मी का अहसास |
सारा दिन झेलता इसकी मार,
इससे मनुष्य हो जाते परेशान |
लेकिन गर्मी कम होने का नाम न लेती,
पूरे गर्मी भर केवल गर्म हवा है देती |   

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर


कवि परिचय : यह है नितीश जिन्होंने यह कविता लिखी हैं | नितीश मुख्य रूप से बिहार के निवासी है परन्तु अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और वह अभी तक बहुत सी कविताएँ लख चुके हैं | नितीश पढ़ लिखकर एक रेलवे डिपार्टमें में काम  करना चाहते हैं | हमें उम्मीद है की नितीश आगे चलकर एक महान कवि बनेंगे |



गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

कविता : मेरे दोस्त ये जिंदगी बड़ी

" मेरे दोस्त ये जिंदगी बड़ी "

मेरे दोस्त ये जिंदगी है बड़ी,
जिसमें बहुत चीजें हैं फसी |
कभी दुखी ,कभी ख़ुशी ,
इसी में बस ये दुनियाँ बनी |
जिसे किसी ने ना सुनी,
वो कहानी भी है यहीं बनी |
छूट न जाए ये साथ कहीं,
सोच तू इस बारे में भी कभी |
मेरे दोस्त ये जिंदगी है बड़ी,
जिसमें बहुत चीजें हैं फसी |


कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर  

कविता : इसलिए रोना बुरा होता है

" इसलिए रोना बुरा होता है "

जब कोई रोता है,
चुपचाप सहन करता है |
अपने आँसुओं को पी जाता है,
इसलिए रोना बुरा होता है |

अपने भीगे ग़मों को सहता है,
सफलता न मिलने पर हारता है |
अपने सपनों का गला घोटता है,
उम्मीद न होने पर मर जाता है |
इसलिए रोना बुरा होता है | |

अपने को गरीब कहना,
 ख्वाबों को न देखना |
जल्लाद की जिंदगी जीना,
साँस चलते हुए भी जिन्दा रहना |
इसलिए रोना बुरा होता है | |

आसमां से आगे जाना छोड़ देते है,
समाज को गलत ठहराते हैं |
चाँद पैसों के लिए,
मासूमों की जिंदगी छीन लेते है |
इसलिए रोना बुरा होता है | |

मंजिल मिलने पर गुरूर करते हैं,
अपने दोस्तों को ही नहीं पहचानते हैं |
खुदगर्ज की जिंदगी जीते हैं,
देश के लोगों को भूल जाते हैं |
हर बात पर झूठी सलाह देते हैं,
इसलिए रोना बुरा होता है | |

कवि : विशाल कुमार , कक्षा : 9th,  अपना घर


बुधवार, 12 दिसंबर 2018

कविता : होली

" होली "

होली आई होली ,
लेकर रंगों की झोली |
रंग बिरंगे रंग लेकर,
आई यारों की टोली |
फाल्गुन का महीना आ गया,
होली का खुमार ज़ोरों छा गया |
होलिका जलेगी आज,
करेंगे होली का आगाज़ |
हुलर -गुलद करते हुए,
घूम गई सारी बस्ती की टोली |
लेकर रंग बिरंगें रंगों की झोली,
आई देखो फाल्गुन की होली |

कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर



कवि परिचय : यह कविता कक्षा 8th के विद्यार्थी अखिलेश कुमार के द्वारा लिखी गई है | अखिलेश अपना घर के छात्र हैं और वह बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | अखिलेश पढ़लिखकर रेलवे डिपार्टमेंट में जाना चाहते हैं | अखिलेश कवितायेँ बहुत ही अच्छी लिखते हैं |

शुक्रवार, 7 दिसंबर 2018

Poem : When someone challenges you

" When someone challenges you "

When someone challenges you,
when life really strikes you.
either it is time of extremity and
your group haven't unity.
if it is a bad situation,
either there is no one teach you lesson.
then don't give everything
and let's open your wings.
and think every things in my fever,
and don't say the bad situation never.
let it to come and ever say ever
until you have to reach the point
don't think for many coins.

Poet : Devraj kumar , class : 8th, Apna Ghar



Poet introduction : this poem belong to Mr. Devraj Kumar from class 8th . really it is marvelous poem and in this poem Devraj wants to tell about our bad situation when life strikes you . Devraj take interest in science ( Chemistry) and write poems. An enthusiast boy that can bring a big change in present life compare to his past life . He is golden brick that come from a normal brick kiln .

बुधवार, 5 दिसंबर 2018

कविता : साल की पहली बरसात

" साल की पहली बरसात "

कर रहे थे वर्षों से इंतज़ार,
कब आएगी साल की पहली बरसात |
देखते रहते थे हम आसमान को,
कहीं दिख जाए काले घटा हमको |
हुई अचानक एक ऐसी घटना,
पड़ा मुझे छज्जे के निचे छुपना |
आ गई साल की पहली बरसात,
बूंदों की हुई जमीं से मुलाकात |
देखा जब काला घटा का रंग,
जैसे लग रहा था बरसात जाएगा तुरंत |  
सुनहरी - सुनहरी जब बुँदे बरसे,
पानी के लिए अब नहीं तरसे |
तब जाके हमको सुकून मिली,
बारिश के संग कुछ बूंदें गिरी |
चरों तरफ हरियाली अब छाई,
मुरझाए हुए घास की मुस्कान खिली |
कर रहे थे वर्षों से इंतज़ार,
कब आएगी साल की पहली बरसात |

                                    कवि : नितीश कुमार : कक्षा : 8th , अपना घर



कवि परिचय : यह कविता नितीश कुमार के द्वारा लिखी गई है बिहार राज्य के निवासी हैं और अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे है | इस कविता के माध्यम से यह बताना चाहते हैं की साल की पहली वर्षा की कीमत कितनी होती है सूखे हुए पत्तों को क्या लगता है जब वह पहली बरसात में पानी की बूंदें उनके पत्तियों में पड़ती हैं |  



मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

कविता : उदास

" उदास "

क्या करूँ आज बहुत उदास हूँ ,
उदास के कारण सबसे नाराज़ हूँ |
पता नहीं यह उदासपन कहाँ से आता है,
उदासपन पूरे मन को खोखला कर जाता है |
प्यारी सी हँसी को रुला देती है,
मन में जो चलता है सब भुला देती है |
जहाँ उदास है वहाँ गम है,
जहाँ गम है वहां आँखें नम है |
उदासपन होने से हम नहीं है,
मन तो है पर ख़ुशी कम है |
उदास , नाराज़ कभी नहीं होना है,
अपने मन को कभी नहीं सोने देना है |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर



कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं | प्रांजुल को बच्चों को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है |  

रविवार, 2 दिसंबर 2018

कविता : एक दिन मुझे उड़ना है

" एक दिन मुझे उड़ना है "

एक दिन मुझे उड़ना है,
आकाश से बातें करना है |
रंग- बिरंगे पक्षी को पकड़ना है,
आसमान में  आज़ाद रहना है |
बारिश की बूंदों में खेलना है,
अपनी हर ख्वाईश को पूरा करना है |
अपने ख्वाबों को पर देना है,
उन्हीं परों से आसमान में उड़ना है |  
जीवन में जितने भी दुःख हैं,
उन्हीं दुखों को ख़ुशी में बदलूंगा |
कुछ ऐसा करके दिखाना है,
जिससे देश का भला हो सके |
अपने हक़ के लिए लड़ना है,
एक दिन मुझे उड़ना है |

कवि : रविकिशन  , कक्षा : 9th , अपना घर



कवि परिचय : यह हैं रविकिशन जो की बिहार के निवासी हैं और वर्तमान समय में अपना घर रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | रविकिशन के परिवार में बहुत से आर्थिक समस्या है उन हालातों से निकलकर वह पढ़ाई कर रहा है यह उसके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है की वह पढ़ाई कर रहा है और पढ़ लिखकर रेलवे में काम करना चाहते हैं | रविकिशन को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है |

आओ मिलकर एक ऐसा देश बनाते हैं

" आओ मिलकर एक ऐसा देश बनाते हैं "

आओ मिलकर एक ऐसा देश बनाते हैं,
जिसमें कोई भेदभाव न होता |
हर कोई हंसी और ख़ुशी से जीता,
कोई हिन्दू और  मुश्लिम न कहलाता |
आओ मिलकर एक ऐसा देश बनाते हैं | |

जिसमें कोई गरीब और अमीर न हो,
जाती धर्म पर कभी भी बात न हो |
जीवन और एक दूसरों में प्यार हो,
बस ऐसा ही जीवन चाहते हैं |
आओ मिलकर एक ऐसा देश बनाते हैं | |

भ्रष्टाचार और दंगों  से मुक्त हो,
ऐसा एक अपना मुल्क बनाते हैं |
जहाँ जीने और मरने की आज़ादी हो,
लोगो में देश के लिए देशभक्ति हो |
जहाँ खाने के लिए एक दूसरे के घर जाते हैं,
आओ मिलकर एक ऐसा देश बनाते हैं |

कविता : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर



कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जिसने यह कविता लिखी हैं इस कविता के माध्यम से यह अहसास दिलाना चाहते हैं एक ऐसा मुल्क बनाए जिसमे सब जन एक हो कोई मतभेद न हो | प्रांजुल जीवन में एक महान इंजीनियर बनना चाहते हैं | पढ़ लिखकर अपने परिवार की मदद करना चाहता है |


कविता : एक नई शुरुआत

" एक नई शुरुआत "

हर दुःख और दर्द को भूलना होगा,
हर उस याद को मिटाना होगा |
जिस याद में तुम खोए हुए हो,
बीते हुए हर पल को भूलना होगा |
क्योंकि वह जीने नहीं देती है,
पुरानी यादें सिर्फ दुःख देती है |
कभी - कभी ख़ुशी भी देती है,
तो कभी मरने भी नहीं देती है |
मत जिओ दुःख और दर्द के साथ,
क्योंकि इससे सफलता नहीं मिलता |
सफलता उसमें मिलती है,
जिसमें खुशियाँ और सरल रास्ते हो |
बीते हुए कल के बारे में मत सोचना,
क्योंकि वह बीते हुए कल के बारे में बताता है |
सोचना सिर्फ आने वाले कल के बारे में,
क्योंकि कई नए रास्ते तुम्हारे लिए इंतज़ार कर रही है |
जिसमें तुम अपनी नई जिंदगी में,
एक नई शुरुआत कर सकते हो |
कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर




कवि परिचय : यह हैं नितीश कुमार जो की बिहार के रहने वाले हैं और अभी पढ़ाई अपना घर संस्था में रहकर कर रहे हैं | नितीश को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | नितीश पढ़ लिखकर एयरफोर्स में जाना  चाहता है | नितीश को टेक्नोलॉजी से बहुत प्रेम है |

शनिवार, 1 दिसंबर 2018

कविता : मैं गरीब हूँ तो क्या हुआ

" मैं गरीब हूँ तो क्या हुआ "

मैं गरीब हूँ तो क्या हुआ,
मैं आसमान को छूकर दिखाऊँगा |
मुझे पढ़ने की सारी उपलब्धियाँ नहीं
मिली तो फिर क्या हुआ,
मैं कैंडल से पढ़कर
अपने जीवन में रौशनी ला दूँगा |
मैं छोटे से जाति से हूँ तो क्या हुआ,
मेहनत के बल पर सब कर दिखाऊंगा |
मुझे अपने ख्वाबों को सजाना है,
हर गरीब के जीवन को रोशन करना है |
मैं गरीब हूँ तो क्या हुआ,
उड़न के बल पर आसमान में लहराऊंगा |
मैं गरीब हूँ तो क्या हुआ,
मैं अपनी पहचान बनाकर दिखाऊंगा |

                                                                                                                   कवि : सार्थकुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सार्थक के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं पर वर्तमान काल में अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | सार्थक को क्रिकेट खेलना बहुत अच्छा लगता है और वह एक स्पोर्ट्स मैन बनने के लिए दिन भर अभ्यास करता रहता है | सार्थक कुछ बनकर अपने परिवार वालों को उस जिंदगी से बाहर कर उन्हें एक अच्छी जिंदगी देना चाहता है |