मंजिल अब दूर नहीं
कदम से कदम बढ़ाओ डरो नहीं ,
जो सही था वही हैं सही ....
आज के गौरव हो तुम्ही ,
आगे बढ़ो" मंजिल अब दूर नहीं" .....
मंजिल तक पहुँचना हैं अगर ,
तो तय करनी पड़ेगी कठिन से कठिन डगर.....
रूकावटे डालेगे भ्रष्टाचार करने वाले ही ,
आगे बढ़ो "मंजिल अब दूर नहीं" .....
चाहे लाख करे कोई प्रयास ,
सिर पर पड़े भले ही ईंट या बाँस.....
ईंट का जवाब पत्थर से देना नहीं ,
आगे बढ़ो "मंजिल अब दूर नहीं" ....
हाथ से हाथ मिलाते रहना ,
अपने कदमों को डगमगाने न देना.....
अब जो डरा समझा वह बचा नहीं ,
आगे बढ़ो "मंजिल अब दूर नहीं" ....
लेखक - आशीष कुमार
कक्षा - ८ अपना घर , कानपुर
3 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर और प्रेरक रचना..
बहुत सुन्दर**** सिर पर पड़े भले ही ईंट या बाँस.....
ईंट का जवाब पत्थर से देना नहीं ,
आगे बढ़ो "मंजिल अब दूर नहीं" ....
हाथ से हाथ मिलाते रहना ,
अपने कदमों को डगमगाने न देना.....
अब जो डरा समझा वह बचा नहीं ,
आगे बढ़ो "मंजिल अब दूर नहीं" ....
अच्छा प्रयास है ये तो
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