बुधवार, 23 मार्च 2011

कविता - मच्छर का गाना

कविता - मच्छर का गाना 
सुनो -सुनो सब भाई- बहना ,
मैंने सुना हैं मच्छर का गाना ...
गाने में क्या लय थी और सुर ताल,
सुनकर गाना हुआ  मैं बेहाल ...
गाना तो वह  ऐसा गाते ,
हाँ -हाँ कर जैसे हम हँसते....
ज्यादा गाना याद नहीं हैं ,
ये बात हकीकत हैं कोई जोग नहीं हैं .....
एक लाईन याद मुझे हैं आयी ,
खून पियेंगे हम सब मच्छर भाई....
नींद खुली जब हमने देखा ,
मुझे हुआ बहुत ही धोखा ....
मच्छरों का मुझ पर जाल बिछा था ,
एक मच्छर आ कान में कुछ कह रहा था .....
सो जा मेरे प्यारे राजा मुन्ना ,
हम पेट भरेंगे सुना के तुझको गाना....
लेखक - आशीष कुमार 
कक्षा - ८ अपना घर , कानपुर


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