पहने घूमें हिन्दुस्तानी
हिन्दुस्तान की गलियों में ,
जगह-जगह पर बाजार है ....
जिसमें सबसे ज्यादा चाइनीज माल है ,
है आश्चर्य की बात अनोखी ....
है क्या हिन्दुस्तानी ,
नहीं किसी को इसकी जानकारी ....
बिकता कहाँ ? माल स्वदेशी ,
जिसको ले हिन्दुस्तानी ....
जगह-जगह पर बिकता माल विदेशी,
जिसको पहने घूमें हर हिन्दुस्तानी ....
लेखक : अशोक कुमार
कक्षा :8
अपना घर
2 टिप्पणियां:
सुंदर सन्देश लिए कविता
बहुत बढ़िया.
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