शीर्षक - अनोखा बस्ता
मेरा बस्ता अनोखा बस्ता ,
लगता हैं भरा हैं उसमे खस्ता ....
मिलता हैं बस्ता बाजारों में सस्ता ,
मेरा बस्ता अनोखा बस्ता .....
जो मेरी किताबो को सुरक्षित रखता हैं ,
मेरा बस्ता अनोखा धुप से हैं तप्ता......
लेकिन किताबो को सुरक्षित रखता ,
अनोखे बस्ते से ही शिक्षा हम पाते हैं .....
फिर उस शिक्षा को हम अपनाते हैं,
बस्ता के ही माध्यम से जिलाधिकारी बन पाते .....
मेरा बस्ता अनोखा बस्ता ,
मेरा बस्ता अनोखा बस्ता ,
ज्ञान की बात बताता हैं .....
विभिन्न जानकारियाँ हम तक पहुँचाता हैं ,
मेरा बस्ता अनोखा बस्ता ......
वस्तु को सुरक्षित रखना मेरी जिम्मेदारी हैं ,
अगर फट जाये बैग को सिलाना हमारा अधिकार हैं.....
क्यों कि मेरे बैग में पुस्तक का भंडार हैं......
लेखक -मुकेश कुमार
कक्षा - ९
अपना घर ,कानपुर
1 टिप्पणी:
बस्ते की अच्छी कविता कमाल की है.....
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