भइया जी
अब जागो मेरे भइया जी ,
सुबह हो गई उठने की .....
हाथ पैर मुंह धोकर आओ ,
नींद को अपने दूर भगाओ .....
नींद आने की आदत है खराब ,
नहीं अपनाना इसको अपने साथ ......
अब जागो मेरे भइया जी ,
सुबह हो गई उठने की ......
लेखक :जीतेन्द्र कुमार
कक्षा :७
अपना घर
2 टिप्पणियां:
सुन्दर सच्ची कविता ...बधाई
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