शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

शीर्षक : भारतवर्ष

 भारतवर्ष 
एक राग एक ही धुन में रहते , 
गणतंत्र दिवस सभी मनाते ....
एक ही गीत को रटकर गाते  ,
भारत-माता की जय-जय करते  ....
जय-जय करना और नारे लगाना ,
जब मन में आये तब से सब करना ....
क्योंकि आजादी मिले हुये कई बरस ,
फिर भी धरती रही हरियाली को तरस  ....
सबके सब आपस में लड़ते ,
फिर भी हिन्दुस्तान का नाम रटते  ....
कहते भारत वर्ष हमारा है  ,
यह हम सब को जान से प्यारा है  ....

लेख़क :आशीष कुमार 
कक्षा :८ 
अपना घर

1 टिप्पणी:

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर..वर्त्तमान व्यवस्था पर चिन्ता प्रशंशनीय..

http://bachhonkakona.blogspot.com/