मेरा मन
रास्ते हैं सभी कठिन ,
मंजिल को है पाना ....
इन रास्तों पर ,
संभल कर चलना ....
एक बार लड़खड़ाये ,
तो मुश्किल है संभलना ....
इन रास्तों पर चलते-चलते ,
बीत गए हजारों दिन ....
लेकर अपनी उम्मीदों को ,
दुखी रह गया मेरा मन ....
लेखक :आशीष कुमार
कक्षा :8
अपना घर
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