शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

कविता:-आज मै घर से बाहर निकला हूँ

 "आज मै घर से बाहर निकला हूँ"
आज मै घर से बाहर निकला हूँ।
अपने मंजिल की तलाश में।।
ना कोई अपना है यहाँ। 
और ना ही कोई घर ठिकाना ।।
बस हम यूहीं चलते जा रहें हैं।
कब तक चलना है ये तो पता नहीं ।।
घर द्वार छोड़कर मै आया हूँ।
अपने उस मंजिल को पाने ।।
 रुक अब सकता नहीं।
और न ही मुँह मोड़ सकता हूँ ।।
बस मै आपने लक्ष्य की खोज में।
रुकना तो चाहता हूँ मगर।।
पर मै रुक नहीं सकता।
कठिन डगर की मेहनत से।।
मुख मोड़ नहीं सकता। 
 कविः- नितीश कुमार, कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर,
 
कवि परीचय : शांत स्वभाव के नितीश कुमार बिहार के नवादा  जिले से अपना घर में पढ़ाई के लिए आये  हैं। इन्हें कविता लिखना पसंद है।
 
 

4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

वाह! बहुत सुंदर!!!

विश्वमोहन ने कहा…

ऐसे ही लिखते रहें!

BAL SAJAG ने कहा…

Dhanyavad aap sabhi ko

Vivek ने कहा…

बढिया है!