मंगलवार, 15 सितंबर 2020

कविता : गर्मी- धीरे बढ़ते जा रहा है

 " गर्मी धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं "

गर्मी धीरे -धीरे बढ़ते जा रहे हैं ,

चारो और  पेड़ मुरझा  रहे हैं | 

कोरोना से दुख पा रहे हैं ,

गर्मी धीरे -धीरे बढ़ते जा रहे हैं | 

खुछ पौधे तैयार हो रहे हैं ,

गर्मी से हो रहे बेकार हो रहे हैं | 

एसी लिए अपना धीरज  खो रहे हैं ,

गर्मी धीरे-धीरे बढ़ते जा रहा है| 


कवि :  अजय कुमार ,कक्षा : 6th ,अपना घर

1 टिप्पणी:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं