"काले बदल छाया है"
काले बदल छाया है,
पानी बरसाने की संभावना है |
गरज रह था कड़ -कड़,
बरस रहा था भड़ -भड़ |
मेंढक की खुशीयां लाया है,
पानी में खूब नहाया है |
जीवों को साथ में बुलाया हैं,
सभी मिलकर बरसात का |
आनंद जी भर के उठाया है | |
नाम : विक्रम कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर
कवि परिचय : यह हैं अपने विक्रम भाई जो की बिहार के नवादा जिला से कानपुर जिला में पढ़ाई करने के लिए आये हुआ है | पढ़ाई में हमेशा अच्छे होने की कोशिश करते हैं |
1 टिप्पणी:
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’ऐतिहासिकता को जीवंत बनाते वृन्दावन लाल वर्मा : ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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