रविवार, 21 जनवरी 2018

कविता : हवा चली

" हवा चली "

 हवा चली , हवा चली,
सर - सर  हवा चली | 
पत्ते गिराया धूल उड़ाया,
पानी में भी लहर उड़ाया | 
उस लहर से गांव डुबाया,
तब जाकर समझ में आया | 
लहर से बच्चो गांव बचाओ,
बचाकर नाम कमाओ | 
हवा चली , हवा चली ,
सर सर करती हवा चली |   

नाम : समीर कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 

कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जो की कक्षा 7th के विद्यार्थी हैं और इलाहबाद के रहने वाले हैं | गाना गए लेते हैं | 

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