" रक्षाबंधन "
रेशम का ये डोर बहना,
जो तूने बाँधी है बहना |
हर एक एक कदम पर,
खुशियां तुमको है देना |
मैं जमीन पर रहकर भी,
आसमां में उड़ाना सिखाऊंगा |
हिम्मत से मैं तुम्हे ,
साथ चलना सिखाऊंगा |
हर मुश्किलों में साथ,
मेरा काम देना होगा |
इस रेशम की डोर की,
कीमत मैं चुकाऊंगा |
हमेशा खुश तू रहना,
मुबारक हो रक्षाबंधन,
मेरी प्यारी बहना | |
नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर