"वायु प्रवाह "
जन्म लेते ही हमसे मिल जाए |
साथ वो छोड़े मरने पर ,
न देखें वो राज महल को |
और न जाने निर्धन -घर ,
कभी ममता मयी स्पर्श देती |
कभी चूमे सबके मन को ,
सब को यह एहसास कराये |
सुख न केवल है दुनियाँ में ,
कष्ट भी मिलता है तन को |
हिन्दू -मुस्लिम को न जाने सब जाने इंसान ,
उसी के दम से दुनियाँ सारी वरना है श्मशान |
कवि : राहुल कुमार , कक्षा : 8th
अपना घर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें