" वीरों को याद करो "
गर्मी के मौसम में,
धरती के आँचल में |
गर्म हवाएँ चल रही हैं,
गर्मी से भू दहक रही है |
लू लपाटा चले फर्राटा,
कर न पाए कहीं सैर सपाटा |
पेड़ पत्ते जल रहे हैं,
बिन हवा के मचल रहे हैं |
दिन लम्बा तो हो ही गया है,
ठण्ड मानों सो ही गया है |
आलस कर देता है मन में,
सोना बस रहता है दिन में |
कवि : प्रांजुल कुमार , : कक्षा : 10th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और बहुत सी कवितायेँ लिखते हैं | प्रांजुल पढ़लिखकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | प्रांजुल को छोटे बच्चों को पढ़ाने में बहुत मज़ा आता है |