शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

कविता : काश यूँ होता

" काश यूँ होता "

ऐ काश , काश यूँ होता,
एक उम्मीद का आश होता |
हर चीज करने की दिलाशा कहीं से मिलता ,
जिस प्रकार कीचड़ में कमल है खिलता
हर किसी के चेहरे पर मुस्कराहट होता,
मेहनत करने वालों की क़दमों में जहाँ होता |
ऐ काश , काश यूँ होता,
एक उम्मीद का आश होता |


कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर



कवि परिचय : यह हैं अखिलेश कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है | अखिलेश को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और कविताओं का शीर्षक भी अद्भुद सा होता है | अखिलेश को खेल में बहुत रूचि है और ज्यादातर वह फुटबॉल खेलना बहुत पसंद करता है | पढ़लिखकर एयरफोर्स में जाना चाहते हैं |

कोई टिप्पणी नहीं: