बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

कविता : आसमान

" आसमान "

देखो उस आसमान को,
कितना सुन्दर सा लगता है |
पर कभी भी उसने अपनी,
खूबसूरती पर कभी घमण्ड नहीं किया ,
उसने हर चीज को सदा रखा है दिल में |
चाहे वो चील हो चाहे हो तोते,
जमीन में या आसमान में होते |
देखो उस आसमान को,
कितना सुन्दर लगता है |

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर




सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

कविता : खोने आदत सी हो गई है

" खोने आदत सी हो गई है "

हर साल यूँ ही आता रहेगा,
हम ऐसे ही जीते रहेंगे |
कोई कुछ नहीं कर सकेगा,
अपनी जिंदगी ऐसे ही खोते रहेंगे |
कुछ बातें दिल में रह गई,
कुछ राते सुबह में बदल गई |
पत्ते सूखकर गिर गए,
बारिश ने भी मुँह मोड़ लिया |
हर साल यूँ ही जाता रहेगा,
हम ऐसे ही जीते रहेगा |
अब लगता है इसकी आदत सी हो गई,
पाने से पहले खोने आदत सी हो गई है |


कवि : विशाल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर


कवि परिचय : यह कविता विशाल के द्वारा लिखी गई है जो की हरदोई जिले के निवासी है | विशाल को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और अपनी कविता को अच्छे से लिखते है जिससे की कोई सन्देश मिले | विशाल को नई डिश बनाना बहुत अच्छा लगता है |
 

शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

कविता : जीना दुशवार

 " जीना दुशवार "

अब का मौसम बेकार
इस मौसम में हो गया जीना दुशवार
हर तरफ हो रही है पेड़ कटाई,
हर जहाँ बना रहे है बिल्डिंग |
कोई नहीं देखता वातावरण की ओर,
बढ़ता रहता है इस देश में प्रदूषण |
बढ़ रही है प्रदूषण की संख्या,
इस कारण हो रहे हैं बच्चे बीमार |
न घटती बीमारी की संख्या,
जिसकी कोई नहीं कर  सकता व्याख्या |
अब का मौसम हो रहा है बेकार,
अब इस मौसम में हो गया जीना दुशवार |

कवि : संजय कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं संजय जिन्होंने यह कविता लिखी है | संजय को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और अभी तक वः बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | संजय झारखण्ड के निवासी है और अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | संजय पढ़ाई में अपनी सुधर लेन की कोशिश में लगे रहते हैं | कक्षा 8th के छात्र संजय बहुत अच्छा क्रिकेट खेलते हैं |

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

कविता : ऊँचा नीचा छोड़ दे साथी

" ऊँचा नीचा छोड़ दे साथी "

ऊँचा नीचा छोड़ दे साथी,
तू प्यार कर बस इतना है काफी |
तेरे एक प्यार करने से,
समुन्दर की लहरों से |
तू ला सकता है बदलाव काफी,
हर गरीब को दिला सकता है इंसाफ़ी |
तेरी ही जमीं है ,ये तेरा ही है सितारा,
एक तू ही है इस देश का सहारा |
तू कर प्यार सभी से,
जब पैदा हो तभी से |
चाहे हो वो बंदर चाहे हो हाथी,
ऊँचा निचा छोड़ दे साथी |  
तू प्यार कर बस इतना ही है काफी | |

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर



कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है समीर कुमार कवितायेँ बहुत अच्छी लिखते हैं | समीर कुमार प्रयागराज के निवासी है और अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे है | समीर गीत भी बहुत अच्छा गा लेते हैं | समीर को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है |

बुधवार, 20 फ़रवरी 2019

कविता : समुन्दर से है सीखा

" समुन्दर से है सीखा "

मैंने पढ़ाने का तरीका,
मैंने समुन्दर से है सीखा |
मैं डूब जाऊँगा समुन्दर में,
हीरे निकाल लाऊंगा |
मुझे पढ़ने लिखने का मन नहीं
यह तो मेरा मन जाने |
इसीलिए तो मेरे माता पिता
ने दिया अच्छी पढ़ने लिखने
का तरीका |
मैं डूब जाऊंगा समुन्दर में,
गहराई नजर आता है |
इसीलिए तो मुझे पढ़ाई नजर आता है | |

कवि परिचय : यह है अजय कुमार की कविता है | अजय बिहार के रहने वाले हैं और अभी कानपुर में रह कर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | अजय पड़ने में बहुत होशियार है और हमेशा हशमुख चेहरा रहता है |

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2019

कविता : शहीदों के नाम होगा

" शहीदों के नाम होगा "

लोग तो पानी में आग
नहीं लगा पाते,
पर तूने तो बहते
लहू में आग लगाई है |
उनके प्यार आँचल ,कलियों
को भी नहीं बल्कि तुमने,
हमारे दिल को चोट पहुँचाई है |
अब हर नौजवानों के,
होंठों पर उन शहीदों के नाम होगा |
और एक - एक के
दिलों में बहता आग होगा |

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं देवराज द्वारा लिखी गई कविता है | देवराज को नई चीज के बारे में पढ़ना बहुत अच्छा लगता है और नई चीजों का अविष्कार करना भी बहुत अच्छा लगता है | देवराज को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक इन्होंने बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | देवराज डांस भी बहुत अच्छा कर लेते हैं |

सोमवार, 18 फ़रवरी 2019

कविता : वक्त का आधा समय

" वक्त का आधा समय "

यह वक्त का आधा समय,
समय आने पर बताता है |
किसी की कही गई बात,
आगे की ओर ले जाती है |
जैसा को तैसा करना,
कोई अच्छा नहीं कहलाता है |  
यह वक्त का आधा समय,
समय आने पर बताता है |
बिना सोचे समझे कोई कार्य करना,
अच्छा नहीं कहलाता है |

कवि : अमित कुमार , कक्षा : 4th , अपना घर

कवि परिचय : यह है अमित जो की बिहार के निवासी है , अमित को कवितायेँ लिखना और खेलना बहुत पसंद है | अमित कक्षा 4th के छात्र है और यह उनकी पहली कविता है | अमित पढ़ाई में बहुत होशियार हैं |

रविवार, 17 फ़रवरी 2019

कविता : मुस्कान का चेहरा

" मुस्कान का चेहरा "

हंसी एक मुस्कान का चेहरा है,
जो हमेशा सुख -दुःख में साथ देता है |
हंसी एक ख़ुशी का चैन है,
जो अपने आप ही आ जाता है |
हंसी एक अनूठा तरकीब है,
जो हँसते हँसते आँखों का आंसू बन जाता है |
सिर्फ अपनी एक लोरी रह जाती है,
जो हम अपने आंसू को रोक नहीं पाते है |
और चेहरे को नया मुस्कान दे जाते हैं | |


कवि : सनी कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर

कवि परिचय : सनी जिन्होंने यह कविता लिखी है और यह बिहार के नवादा जिले के निवासी है | सनी को खेलकूद बहुत पसंद है और यह कानपुर की टीम में भी एक बार चयन होकर क्रिकेट खेले थे |

कविता : कोहरे की सफ़ेद चादर

" कोहरे की  सफ़ेद चादर "


कोहरे की  सफ़ेद चादर फैली है,
कभी कड़क तो कभी सर्दी है |
पूरे शरीर, हाथ को ठण्ड पहुंचाती है,
गर्म से ठण्ड हुई है धरती |
जुखाम , खासी को पनपाता है,
भारी दर्द से चिकित्सा के पास जाता है |  
सूर्य की रौशनी एक जरिया है,
सर्दी को भगाने का दरिया है |
कोहरे की  सफ़ेद चादर फैली है,
कभी कड़क तो कभी सर्दी है |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर


कवि परिचय : प्रांजुल कुमार जो की छत्तीसगढ़ के निवासी है | प्रांजुल को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और लगभग अभी तक वह बहुत सी कवितायेँ लिख चूका है | पढ़लिखकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | प्रांजुल को पढ़ना बहुत अच्छा लगता है |

शनिवार, 16 फ़रवरी 2019

कविता : सूरज का कहर

" सूरज का कहर "

क्या मौसम आया है,
सूरज भी कहर भरपाया है |
गर्मी में लोग हो गए बेहाल,
पसीने ने कर दिया बुरा हाल |
पंखे सूने पड़ गए,
हवा भी बंद सी हो गई |
बच्चे भी हो गए परेशान,
छुट्टी ही करेगी इनका काम आसान |
जून भी बाकी है,
गर्मी जो भारी है |
अभी बचे है 4 महीने लगातार,
न जाने क्या होगा इस गर्मी में हाल |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं और अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | कुलदीपको डांस भी बहित अच्छा कर लेते हैं |

शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2019

कविता : पानी का प्यासा

" पानी का प्यासा "

जो पानी का प्यासा था,
उसे हर क्षण एक शमशान की
जगह महसूस होता है
उसे न जीने की तमन्ना महसूस होता है |
उसके इतने ही क्षण में आत्मा में,
ख़ामोशी सी छा जाती है |
पानी की एक बूँद आने की आशा,
सी हो जाती है |
इसकी अहमियत की मूल्य नहीं,
और सोचने के लिए किसी
के पास दिल है कि नहीं |

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं विक्रम कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है | विक्रम बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं और वर्तमान समय में कानपूर के आशा ट्रस्ट संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | विक्रम को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है | पढ़लिखकर एक रेलवे में काम करना चाहते हैं | विक्रम एक अच्छे वक्ता हैं |

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

कविता : बसंत

" बसंत "

बसंत की बहार आयी,
गर्मी का अहसास दिलाई |
अब तो बोर आम के पेड़ों पर आई,
कोयल पेड़ों में कुहू - कुहू बोली |
मधुर स्वर वातावरण में है गूंजा,
बसंत की बहार है आयी |

मौसम में बदलाव आये,
सरसों के खेत है लहराए |
सोने की रंग की धूप है छिड़की,
नई कोपल पेड़ों पर है आयी,
प्रकति नई उमंग में भरमाई |  
बसंत की बहार आयी,
गर्मी का एहसास दिलाई |


कवि : राज कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं राज कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की हमीरपुर के निवासी है | राज को कवितायेँ लिखने की बहुत रूचि है राज को राजनैतिक में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं |

बुधवार, 13 फ़रवरी 2019

कविता : जब जब मैंने उसे देखा

" जब जब मैंने उसे देखा "

जब - जब मैंने उसे देखा
हर पल कुछ न कुछ सोचा |
मेरी जिंदगी की यह फूल है,
जिसे मैंने किया कबूल है |
मैं बस उससे डरता हूँ हमेशा,
कहीं कोई उसे चुरा न ले |
उसे किसी और के हाथों में
उसे फूल को बेच दे |
जिसे चाहूँ में हमेशा,
जिससे बंधी थी मेरी रेखा |
जब - जब मैंने उसे देखा
हर पल कुछ न कुछ सोचा |

कवि : समीर कुमार।, कक्षा : 8th , अपना घर




कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर को गीत गाना बहुत अच्छे लगते हैं कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और वह अपनी बहुत सी चुके हैं | समीर को क्रिकेट  खेलना भी बहुत अच्छा लगता है | समीर छोटों बच्चों से बहुत लगाव रखते है उन्हें अच्छी शिक्षा देना बहुत अच्छा लगता है |

मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019

कविता : जब मैं छोटा सा था

" जब मैं छोटा सा था "

जब मैं छोटा सा था,
बचपन में मैं मोटा था |
जब मैं छोटा सा था ,
जोर - जोर से रोता था |
जब मैं बच्चा था ,
गलत काम मैं करता था |
बहुत डांट मैं खाता था,
जब मैं छोटा सा था |

कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 4th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | सुल्तान की यह पहली कविता है जिन्होंने अपने बचपन की शरारतों को दर्ज किया है | सुल्तान को खेलना बहुत पसंद है | सुल्तान बहुत ही होशियार छात्र है |

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019

कविता : ठंडी के कोहरे में

" ठंडी के कोहरे में "

सुबह ठंडी के कोहरे में
चलती ठंडी हवाओं में |
उठ पड़े हम सुबह जल्दी
बाहर पद रही है कड़ाके की ठंडी |
हाथ हमारे कांप रहे थे,
फिर तैयारी कर रहे थे |
सबका था उस पल का इंतज़ार,
कब होगा इसका आरम्भ |
ये दिन था गणतंत्र का,
जिस पर हमें नाज़ था |
सभी ने दिए अपने विचार,
सभी ने बनाए इस दिन अपने यार |    


कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर

कवि परिचय : यह है कुलदीप जिन्होंने यह कविता लिखी है | कुलदीप को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और वह अब तक के बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | कुलदीप पढ़लिखकर नेवी ऑफिसर बनना चाहतें हैं | कुलदीप को डांस करना बहुत अच्छा लगता है |

बुधवार, 6 फ़रवरी 2019

कविता : उम्मीद का प्रकाश होता

" उम्मीद का प्रकाश होता "

ऐ काश , काश यूँ होता,
अँधेरे में उम्मीद का प्रकाश होता |
किसी के हाथों में न हथियार होता,
बस लोगों के चेहरे पर प्यार होता |
जिस प्रकार क्रिकेट में सरफ़राज़ होता है
अंतिम गेंद में जीत की आश होता है |
जीवन में हर व्यक्ति खुद पर महान हैं
बस खुद को समझने में अनजान है |
ऐ काश , काश यूँ होता,
अँधेरे में उम्मीद का प्रकाश होता |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर




कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी है और अभी वह अपना घर संस्था में रहकर अपनी शिक्षा पूरी कर रहे हैं | प्रांजुल को विज्ञानं से बहुत प्रेम है इसीलिए वह जहाँ भी जाते हैं विज्ञानं की शिक्षा देने लगते हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखना का बहुत शौक है |

कविता : मुझे भी जीने की चाहत है

" मुझे भी जीने की चाहत है "

मुझे भी जीने की चाहत है,
पर शरहद रक्षा करता हूँ |
मुझे भी ख़ुशी से रहना है ,
पर देश के लिए लड़ता हूँ |

न मुझे मरने की चिंता,
न मुझे डरने की चिंता
क्योंकि हर कदम पर,
खतरा मोल लेता हूँ |

हर दुश्मनों पर नजर रखता हूँ,
दुश्मनों को ख़त्म किए बिना दम नहीं लेता हूँ
नए हौशलों और जज्बों  के साथ
बस आगे बढ़ता ही जाता हूँ |

मुझे भी जीने की चाहत है,
पर शरहद रक्षा करता हूँ |



कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर


कवि परिचय : यह कविता नितीश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | नितीश को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और अभी लगभग वह बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | नितीश को टेक्नोलॉजी में बहुत रूचि है और हमेशा अपना ज्यादातर समय उसी में व्यतीत करते हैं |

शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

कविता : मेरी डायरी

" मेरी डायरी "

मेरी डायरी की एक कहानी है,
जो की मेरे साथ शुरू हुई थी |
आज तक की  सारी बात,
वह संभाल कर रखी |
हर लम्हें की सारी बीते,
तुम्हें मैनें बताई |
जरूरत पड़ने पर उन सारी,
बातों को मुझे सुनाई |
सुनाकर उस बीते बातों को,
एक नया रंग हमारी जिंदगी को देता |
जब भी मैं अकेला होता,
वह सारी बीते मुझे गुदगुदाता |


कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
     



कवि परिचय : यह कविता देवराज के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | देवराज को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अपनी कविताओं को बहुत ही प्यार से सजाते हैं | देवराज को कुछ नए चीजों के बारे में जनन्ने की बहुत इच्छा होती है |


कविता : काश यूँ होता

" काश यूँ होता "

ऐ काश , काश यूँ होता,
एक उम्मीद का आश होता |
हर चीज करने की दिलाशा कहीं से मिलता ,
जिस प्रकार कीचड़ में कमल है खिलता
हर किसी के चेहरे पर मुस्कराहट होता,
मेहनत करने वालों की क़दमों में जहाँ होता |
ऐ काश , काश यूँ होता,
एक उम्मीद का आश होता |


कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर



कवि परिचय : यह हैं अखिलेश कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है | अखिलेश को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और कविताओं का शीर्षक भी अद्भुद सा होता है | अखिलेश को खेल में बहुत रूचि है और ज्यादातर वह फुटबॉल खेलना बहुत पसंद करता है | पढ़लिखकर एयरफोर्स में जाना चाहते हैं |