मोर हमारा कितना रंग बिरंगा ,
फुदुक फुदुक कर नाच दिखाता....
फुर्र फुर्र कर वह झट उड़ जाता ,
मोर हमारा कितना रंग बिरंगा ....
हमारे पास न आता वो,
न हमारे संग खेला करता ....
फुर्र फुर्र कर वह झट उड़ जाता ,
मोर हमारा कितना रंग बिरंगा .....
लेख़क चन्दन कुमार कक्षा ५ अपना घर कानपुर
5 टिप्पणियां:
बेटा, मोर पुलिंग होता है और मोरनी स्त्रीलिंग...फिर से पढ़ो अपनी कविता...
एक बार और कोशिश करो..
शाबास!
मैं उड़न तश्तरी जी से सहमत हूँ
बच्चे की कविता में बड़ों को सुधार करना चाहिए था
समीर अंकल ने कहा है तो सही ही होगा...
नवरात्र और दशहरा...धूमधाम वाले दिन आए...बधाई !!
कविता कक्षा 5 क् छात्र चन्दन कुमार ने लिखी है!
प्रतिभा औप साहस प्रशंसनीय है!
हार्दिक बधाई देता हूँ!
--
आपकी पोस्ट की चर्चा बाल चर्चा मंच पर भी की गई है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/23.html
कविता कक्षा 5 क् छात्र चन्दन कुमार ने लिखी है!
प्रतिभा औप साहस प्रशंसनीय है!
हार्दिक बधाई देता हूँ!
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आपकी पोस्ट की चर्चा बाल चर्चा मंच पर भी की गई है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/23.html
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