गुरुवार, 24 नवंबर 2022

कविता :"वो तुम्हें नहीं भूली है"

"वो तुम्हें नहीं भूली है"

उसको छोड़कर ,

दोस्तों से गपसप सही  है। 

क्या तुम्हारे पास ,

माँ खातिर एक पल नहीं है। 

जिसने तुम्हे खुद से भी ज्यादा चाहा,

तुम तो उसे भूल गए।

पर उनके दिल में तुम्हारी जगह वहीँ है,

क्या तुम्हे नहीं लगता की।

माँ खातिर दोस्त छोड़ना सही है। 

उसे भूल चाहे याद कर पर ,

एक बात जरूर जान लेना तुम उसे भूल गए हो पर ,

वो तुम्हें नहीं भूली है। । 

कवी: महेश कुमार ' कक्षा:8th 

अपना घर

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