"पूरी दुनिया देखनी है तुमको "
अभी तो सिर्फ घर परिवार और गाँव देखा है ।
अभी तो पूरी दुनिया देखनी है तुमको,
उसमे क्या गलत हो रहा है।
सुधारना है तुमको ,
अभी तो खुद के हक़ के लिए लड़े हो ,
दूसरों के खातिर लड़ना है तुमको ।
लिंग जाती का भेद हटाकर ,
इस दुनिया को बदलना है तुमको ।
लड़के तो वैसे ही आगे हैं पर ,
लड़कियों के खातिर काढ़ना है तुमको ।
अभी तो सिर्फ घर परिवार गाँव देखा है ,
अभी तो पूरी दुनिया देखनी है तुमको ।
कवी : महेश कुमार , कक्षा : 8th
अपना घर
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