गुरुवार, 10 नवंबर 2022

कविता : "पूरी दुनिया देखनी है तुमको "

"पूरी  दुनिया देखनी है तुमको "

अभी तो सिर्फ घर परिवार और गाँव देखा है ।

अभी तो पूरी दुनिया देखनी है  तुमको,

उसमे क्या गलत हो रहा है।

सुधारना है तुमको ,

अभी तो खुद के हक़ के लिए लड़े  हो ,

दूसरों के खातिर लड़ना है तुमको ।

लिंग जाती का भेद हटाकर ,

इस दुनिया को बदलना है तुमको ।

लड़के तो वैसे ही आगे हैं पर ,

लड़कियों के खातिर काढ़ना है तुमको ।

अभी तो सिर्फ घर परिवार गाँव देखा है ,

अभी तो पूरी दुनिया देखनी है  तुमको ।

कवी : महेश कुमार , कक्षा : 8th

अपना घर  

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