गुरुवार, 14 अक्तूबर 2021

कविता: "पुरानी झलक देखा "

"पुरानी झलक देखा "

पुरानी झलक देखा | 

आज मै अपने गाँव को अलग देखा ,

पर मैने पुरानी झलक देखा | 

वो सड़क , वो गलिया ,

बदल तो गयी है | 

पर उसमे चलने की ,

अंदाज वही है | 

पैन से बहता पानी ,

किसान और खेत की कहानी | 

बदल तो गयी है ,

लेकिन गाँव की आवाज वही है | 

नदी के पुल बदल गयी है ,

मेरे पुराने स्कूल बदल गये है |  

पर गाड़ियों और बच्चो की ,

शोर वही है | 

हा बहुत कुछ बदल गया ,

मेरे गाँव में | 

पर वही शाम और भोर वही है ,

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 11th 

अपना घर

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