"पुरानी झलक देखा "
पुरानी झलक देखा |
आज मै अपने गाँव को अलग देखा ,
पर मैने पुरानी झलक देखा |
वो सड़क , वो गलिया ,
बदल तो गयी है |
पर उसमे चलने की ,
अंदाज वही है |
पैन से बहता पानी ,
किसान और खेत की कहानी |
बदल तो गयी है ,
लेकिन गाँव की आवाज वही है |
नदी के पुल बदल गयी है ,
मेरे पुराने स्कूल बदल गये है |
पर गाड़ियों और बच्चो की ,
शोर वही है |
हा बहुत कुछ बदल गया ,
मेरे गाँव में |
पर वही शाम और भोर वही है ,
कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 11th
अपना घर
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