"पैसो के पीछे भागते है "
कुछ लोग पैसो के पीछे भागते है |
इन गरीबो को समझो ,
जो भुखमरी से पीछा नही छुड़ा पता है |
सभी गाँव का तालाब सूख गए ,
पेड़ -पौधे भी रूठ गए |
वह कुआँ भी नस्त हो गए ,
जहा से पानी खीचा करते थे |
वह जमीन भी सूख गई ,
जहाँ फसल हस कर खिला करते थे |
अबतो बादल भी रूठ गया ,
जो बूंदे बनकर टपका करते थे |
वो मुस्कुराहट भी चली गई ,
जो वर्षा पहले दिखा करते थे |
इन हालतो को देख कर ,
आँखों से आँसू टपक आते है |
आधे पेट ही खा कर ,
जिंदगी जिया करते है |
इन गरीबो को समक्षो ,
जो भुखमरी से पीछा नहीं छुड़ा पाते है |
कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 7
अपना घर
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