" जिन्दगी के कुछ पल है "
जिन्दगी के कुछ पल है |
जिसे तुम्हे जीने को मिला,
अपनी यह अनजान सी जिन्दगी में |
कुछ बड़ा करना है ,
अपने राह पर आने वाले हर |
कठिनायो से ,
उससे तुम्हे ही लड़ना है |
अपनी इस जिन्दगी में ,
इस जिन्दगी के कुछ पल है |
जो तुम्हे मिला ,
कुछ ऐसा करो अपनी |
जिन्दगी में तुम ,
कि सारा जहाँ देखता रह जाए |
अपने इस जिन्दगी के कुछ पल,
कवि : संजय कुमार , कक्षा : 11
अपना घर
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