बुधवार, 6 नवंबर 2019

कविता : मछुआरा

" मछुआरा "

पड़े रहतें हैं वे नदी के किनारे,
 बिना किसी मछली के सहारे |
मछली  मिले एक भी कभी,
बस ताकते रहतें हैं वे सभी |
कभी मिली तो कभी नहीं,
न मिली तो जातें है कहीं | 
नदी में हो या तालाब में
बस मछुआरा तो रहता
मछलियों की तलाश में |
मछुआरों की जिंदगी मछली है,
उनके हाथों से नहीं निकली मछली | 

कवि : रविकिशन , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता रविकिशन के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक " मछुआरा " है | रविकिशन बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | रविकिशन को कवितायेँ लिखने में बहुत रूचि है | रविकिशन ने यह कविता मछुआरे के जिंदगी पर लिखी है | 

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