शनिवार, 30 दिसंबर 2017

कविता : नन्हे से हाथों को "

" नन्हे से हाथों को "  

मेरे नन्हे से हाथों को, 
औज़ार भा गया | 
मेरे नन्हे से आँखों को, 
पैसे लुभा गया | 
न समझ था मुझमे, 
नाजायज फायदा उठाया गया | 
जिन आँखों में होनी चाहिए थे, 
ख्वाबों का संसार | 
तो शाम को सोते हैं, 
लेकर सुबह के विचार | 

नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 

कवि परिचय : ये हैं देवराज कुमार जो की बिहार के नवादा जिले से अपनाघर में पढ़ने के लिए आये हुआ है | ये कवितायेँ लिखने के साथ - साथ डांस भी अच्छा कर लेते हैं | पढ़ने में   भी बहुत अच्छे हैं | 

शुक्रवार, 15 दिसंबर 2017

कविता : प्यारी माँ हमारी

"प्यारी माँ हमारी "

रोज़ सुबह वह मुझे उठती है,
फिर वह मुझे नहलाती है |   
अपने नरम - नरम हाथों से, 
गरम - गरम नाश्ता खिलाती है | 
हाथ पकड़कर स्कूल ले जाती, 
शाम ढले तो घर ले आती | 
बैठ मुझे वह पाठ पढ़ाती, 
समझ न आये तो फिर समझाती 
क , ख ,ग वह मुझे सिखाती, 
वह मेरी है सबसे प्यारी |  
वह मेरी है सबसे  न्यारी, 
वह तो है प्यारी माँ हमारी| 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर 

गुरुवार, 14 दिसंबर 2017

कविता : देखो इस चिड़िया को

" देखो इस चिड़िया को "

देखो इस चिड़िया को,
कैसे चहचहाती है | 
जैसे हम लोगों को,
कुछ वह कहना चाहती है |
जीते ही हर पल को,
हमेशा वह गाती है | 
देखो इस चिड़िया को,
क्यों वह चहचहाती है |
दुःख बहुत होते है लेकिन, 
हमको वह बताती है | 
दुःख - सुख अपने देखो, 
एक पल में सह जाति है |
अपने को चोट लगे तो, 
डॉक्टर के पास जाते हैं |
लेकिन एक चिड़िया को देखो,
 दर्द अपने सह जाते हैं |
चाहे दुःख या हो गम, 
सभी पल को देखो,
हंस कर वह बिताती है |
कवि : समीर कुमार , कक्षा : 7th, अपनाघर 

सोमवार, 4 दिसंबर 2017

कविता ; बाल मजदूर

"बल मजदूर "

नाजुक हाथों ने क्या कर दिया पाप, 
जन्म से ही दे दिया कामों का वनवास |
कलियों जैसी खिलने वाले उस मासूम, 
जिंदगी को कर दिया तबाह |
हर बचपन के लम्हों को, 
हर सजाये हुए सपनों को |
दो मिनुट में कर दिया राख,
दर्दनाक जिंदगी उसे तडपा दिया |
बचपन के खिलौनों की जगह,
 जिंदगी से लड़ना सिखा दिया | 
पेन ,किताब और कॉपी की जगह, 
कम का बोझ इर पर लाद दिया |

नाम : विक्रम कुमार , कक्षा : 7 , अपनाघर 

शुक्रवार, 1 दिसंबर 2017

कविता :जब मैं सुबह जागा

"सुबह - सुबह जब मैं जागा "

सुबह - सुबह जब मैं जागा, 
बिस्तर छोड़कर व्यायाम को  भागा | 
तब सुबह के बज रहे थे चार, 
चिड़ियाँ उड़ी पंख को पसार | 
मानों प्रकति कह रही हो,
क्या घूमना चाहते हो संसार | 
मैं तो था बिल्कुल तैयार, 
लेकिन सपना टूटा तो 
हो गया सब बेकार | | 

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर

कवि परिचय : यह हैं देवराज कुमार जो की बिहार के नवादा जिले से आये हुए हैं | इन दो - तीन सालों में इन्होने बहुत अच्छी कविताएं लिखना सिख गए हैं और अभी चाहतें हैं की और भी सीखें | ये डांस भी बहुत अच्छा कर लेते हैं | 

शनिवार, 25 नवंबर 2017

कविता : उठो जवानों

" उठो जवानों " 

कब तक सोए रहोगे जवानों, 
अब तुमको उठ कर दिखलाना है | 
चाहे हो मुसीबतों का पहाड़, 
इससे भी ऊँची छलांग लगाना है | 
अपने हक़ के हक़दार बानों, 
गलतियों से तुमको लड़ना है | 
शरहद के पार होकर भी, 
एक टारे की तरह चमकना है | 
अब मत सोओ आलस के बन्दों, 
अब तुमको भी लड़ना है | 

कवि :प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर 

कवि परिचय : छत्तीसगढ़ के रहने वाले प्रांजुल ने लगभग बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | कविता बलिखने का गुड़ अपने भइआ लोगो से सीखा है| पढ़ाई में अच्छे होने के साथ - साथ गतिविधियों भी बहुत अच्छे हैं | हमें उम्मीद है की आने वाले समय में एक महँ कवि बनेगें | 

कविता: ठंडी का मौसम आया

 " ठंडी का मौसम आया "

ठंडी का मौसम आया है  
उनींदार कपड़ें है लाया है | 
बिना स्वेटर लगती है ठंडी, 
पहनो टोपी पूरी ठंडी | 
ठिठुर रहे हैं हाथ हमारे, 
चलो बैठते हैं आग के किनारे | 
कोहरा भी होता है इस दिन,
देख कर चलो भईया नहीं तो 
भिड़ोगे  किसी दिन | | 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | अपनाघर में रहकर पिछले तीन सालों  से पढ़ाई कर रहे हैं | कवितायेँ बहुत अच्छी लिख लेते हैं तथा डांस भी बहुत अच्छा कर लेते हैं | हमेशा मुस्कुराते रहते हैं | 

बुधवार, 15 नवंबर 2017

कविता : नएपन के ख़ुशी में

 " नएपन के ख़ुशी में "

हमें गुदगुदाओ इस नयापन के ख़ुशी में ,

निकलो उस दुखी दहलीज़ से | 
जिसमें गुदगुदी के लम्हें हो, 
जिओ ख़ुशी के पक्षिओं की तरह,
जिस पक्षी के कुछ गीत हो | 
हमेशा तुम चहचहाना सीखो, 
हर दिन को  खाश बनाना सीखो | 
उन दिनों की यादों को भूल न पाय, 
याद  करो फिर भी याद  दिलाय |  
यूँही नए पल के लम्हें जो बीते, 
गुमसदी के पलों को दरिया में दफना दे |

कवि : राज कुमार , कक्षा : 8th ,अपनाघर 



कवि परिचय : यह हैं राज कुमार जो की कक्षा 8 के विद्यार्थी हैं | 2013 से यहाँ रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | वैसे तो यह हमीरपुर के निवासी हैं  पढ़ाई में तो अच्छे हैं और कवितायेँ भी अच्छी लिखते हैं | 


सोमवार, 13 नवंबर 2017

कविता : दिवाली आयी खुशियाँ हज़ार लायी

" दिवाली आयी खुशियाँ हज़ार लायी "

दिवाली आयी खुशियाँ हज़ार लायी,, 
उन दीपों के बीच , वो खूब 
सुन्दर ख्यालों के साथ, 
जगमगाते बत्तियों के पास | 
सालों  -साल होता है पावन, 
इस त्योहार का इंतज़ार | 
फिर होता है दीपों का अकाश में,
 चमचमाते सितारे करते हैं दीदार |  
दिवाली आयी खुशियाँ हज़ार लायी .....  

कवि : राज कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर 

Poem :Try to fly

" Try to fly " 

When a little bird try to fly,
fall down many times but not shy.
till it rise up and then try. 
but its little uniques,
not help him to fly.  
A beautiful excitement,
which is in his mind.
when it see any bird flying,  
its mother never teach him to fly, 
but it has to learn by its trying........   

Poet : Devraj kumar , class: 7th, Apnaghar 

 Introduction : He is Devraj kumar belongs to Bihar state and settle in Apnaghar for study. He is always interested in dance , poem writting ,and sports as well as drama etc. He has always smile on his face .

शनिवार, 11 नवंबर 2017

poem : Beneath the Sky

" Beneath the Sky " 
We surprised beneath the sky,
why we can not go so high .
would be also have feather, 
so that we can fly together.
to sit on the clouds, 
talk a lot and clear all doubts. 
we face the first ray of sun, 
then release the ray of bun. 
no more problems and tension,
all bad deads fprgot, turn off television. 

Poet : Pranjul kumar , Class : 8th, Apnaghar 


Introduction : He is Pranjul from Chhattisgarh and he is well known for its poem , games ,drawing etc.He is good in study as well as mental skill .He joined Apnaghar for to change his family background from worst to better .

शुक्रवार, 10 नवंबर 2017

कविता : पढ़ाता है तू,

" पढ़ाता है तू, " 

अनपढ़ों को पढ़ाता है तू, 
सबके दिल को छू जाता है तू | 
इस देश के वासियों को, 
अच्छी बातें है बताता तू | 
हिंसा तेरे बस में नहीं ,
अहिंसा का पाठ पढ़ाता | 
अगर तू ये काम न करता,
गाँधी नहीं कहलाता तू | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर

कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जो की इलाहबाद से अपनाघर में पढ़ाई के लिए आएं हैं | संगीत इनका मनपसंद चीज़ है | कवितायेँ लिखने के साथ -साथ अच्छे -अच्छे गीत भी लिखा करते हैं | माता -पिता की ख्वाहिश है की ह पढ़ लिखकर कुछ समाज के लिए काम करे |  

मंगलवार, 7 नवंबर 2017

POEM : Don't change intention

" DON'T CHANGE INTENTION "

If the people is laughing at you.
it's means you are doing something new.
They would be compelled to change view.
and give idea to you.
would be thought I am crazy.
and it will be make you to more lazy.
but you there keep patient.
and pay attention.
Don't change there your intention.

POET : DEVRAJ KUMAR , CLASS : 7TH , APNAGHAR

Introduction : he is Devraj from Bihar state . Always read for an competition whatever of dance or poetry .Always smile is on his face and better in any game and favourite game is volleyball and cricket 

कविता: तितली के सुनहरे पंख

" तितली के सुनहरे पंख " 

 तितली के सुनहरे पंख,
देखकर मन बहल जाए | 
छुओ तितली के कोमल पंखों को ,
तो टिम -टिमाते हुए उड़ जाए | 
सुनहरे से मौसम के पल में,
तितली की रंगों की रौशनी | 
उनके सुंदर पंखों से निकलती है,
पंखो में कुछ जादू है जिससे | 
जुगनू के रंग जैसे बदलती है,
बाग - बगीचों में तितली  रंग | 
सुनहरे से तारे टिमटिमाते हैं,
थोड़ी सी किरण तितली पर पड़ती है | 
कोमल से पंख टिमटिमाकर बताती है,
पंख हिलाकर पास चली आती है | 
तितली के सुनहरे रंग संसार में बिखर जाए 
फिर से नई एक दुनियाँ बन जाए | 

कवि : सनी कुमार , कक्षा : 6TH ,अपनाघर

कवि खेल में बहुत अच्छा प्रदर्शन करते हैं |  परिचय : यह है सनी जो की बिहार के नवादा जिले से आकर अपनाघर में अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे है | ये चाहते है की मैं अपने घर की लाइफ स्टाइल बदलूँगा | जिससे की मेरा परिवार और खुशहाल व खुश होकर जिए | 



शुक्रवार, 3 नवंबर 2017

कविता : दुनियाँ घूमूँ

" दुनियाँ घूमूँ "

 चाह है मेरी की दुनियां घूमूँ ,
हर जगह मस्ती में झूमूँ | 
देखूं मैं नई किरणों का शहर,
जंहा न हो दुश्मनों का कहर | 
पद यात्रा से  हवाई यात्रा करूँ ,
आसमान में जाकर नई साँस भरूँ | 
जहाँ -जहाँ जाऊँ मैं,
सारे संस्कृति को अपनाऊँ मैं | 
ठंडी, गर्मी और झेलूं बरसातें, 
घूमूँ दिनभर और सारी रातें | 
जहाँ भी जाऊँ ख़ुशी से झूमूँगा, 
जीवन एक दें है खुल के जीऊंगा |  

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th, अपनाघर
कवि परिचय : इनकी कविताओं में दिन पर दिन दिन सुधार हो रहा है .रोचक भरी कवितायें लिखने वाले यह हैं प्रांजुल कुमार | इस बन्दे में कविता और खेल कूट -कूटकर भरा है | प्रान्जुल को खेलने में वॉलीबॉल पसंद हैं | 

कविता : माँ

" माँ "

माँ होती है सबसे पारी, 
सुनती है हर बात हमारी | 
खाना भी वो खिलाती है, 
सपनों में वो आती है | 
माँ होती है सबसे प्यारी, 
अच्छी बातें बताती है | 
स्कूल तक ले जाती है, 
स्कूल में डांट भी खाती हैं | 
फिर वो मुझको समझती है,
माँ होती है सबसे प्यारी,
सुनती है हर बात हमारी | 
जब करते है हम शैतानी, 
याद  दिला देती है नानी | 
फिर वो खाना खिलाती है, 
हर चोंट में मरहम लगाती है | 
माँ होती है सबसे प्यारी, 
सुनतु है हर बात हमारी |  

कवि : ओमप्रकाश , कक्षा : 6TH , अपनाघर

कवि परिचय : यह ओमप्रकाश जी हैं जो की छत्तीसगढ़ से यहाँ अपनाघर प्रांगड़ में अपनी पढ़ाई को पूरा करने के लिए आये हुए हैं | कविता लिखने के आलावा चित्र /पेंटिंग करना बहुत अच्छ लगता है | अपने माता पिता के सपने को पूरा करना चाहते है | 

मंगलवार, 31 अक्टूबर 2017

कविता : अब का सोचना

" अब का सोचना "

कल को  क्या अब सोचना, 
वो तो यूँ ही  गुजर गया | 
तैयार रहना है अब हमें,
आने वाले कल के लिए | 
आने वाला जो कल है,
 शायद कल बदल जाए, 
और किसी की मिट  जाए | 
किसने सोचा होगा उस कल को,
क्या होगा उस कल को | 
कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर


शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2017

कविता: ऐ खुदा कुछ ऐसा कर

" ऐ खुदा कुछ ऐसा कर "

ऐ खुदा कुछ ऐसा कर, 
कि मेरी जिंदगी सुधर जाए | 
काश कुछ ऐसा हो, 
जिस पर मैं चल सकूं | 
की झुक जाए सारा संसार 
तेरी ही बल पर जिऊँ,
तेरी ही शरण में मरूँ | 
काश कोई दे रह मुझे, 
चाहे जिऊँ या  मरूँ | 
ये परवाह नहीं मिझे, 
तेरी ही आचरण में रहूँ  | 

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 7th ,अपनाघर 
कवि परीचय : शांत स्वभाव के रहने वाले नितीश कुमार बिहार के गया जिले से अपनाघर में पढ़ाई के लिए आय हैं | कवितायेँ भी अच्छी -अच्छी लिखने लगे हैं २०१६ में पहली कविता  लिखी थी और आज उससे बेहतर | 

कविता: हैं बेचैन सभी

" हैं बेचैन सभी "

घर जाने को हैं बेचैन सभी, 
घर वाले इंतज़ार करते होंगें सभी | 
तड़प रहा हूँ यहाँ बेकरार, 
घर हो चाहे या हो बिहार | 
घर तो जाना है एक बार, 
करते होंगें मेरी फरियाद |  
आती है हर पल घर की याद | | 

कवि : संतोष कुमार , कक्षा 4th , अपनाघर 

कवि परिचय : कक्षा 4th में ही कविताएं लिखने लगे है तो ऐसा ही लगता है की आगे चलकर एक अच्छे कविता लेखन बनेगें | इस कक्षा में भी अच्छी कवितायेँ लिखते हैं | पढ़ाई करने के साथ - साथ एक कविकार बनना चाहते हैं 

कविता : जब सुबह मैं जागा

 " जब सुबह मैं जागा "

जब मैं सुबह सुबह -जागा,  
बिस्तर छोड़कर व्यायाम को भागा | 
तब बज रहे थे सुबह के चार,, 
बह रही थी ठंडी -ठंडी हवा,
चिड़िया उड़ रहीं थी पंख पसार | 
मानों प्रकृति कुछ रही हो, 
क्या घूमना चाहते हैं संसार | 
मैं तो था बिलकुल तैयार, 
लेकिन जब सपना टूटा तो | 
सब कुछ हो गया बेकार |  

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर


 कवि परिचय : यह हैं देवराज कुमार जो की बिहार जिला के एक मजदूर परिवार से यहाँ पढ़ने के लिए आएं हैं ताकि वह भी दिखा दे की केवल जिसके पास खूब पैसा हो वही केवल पढ़ाई कर सकता है | खेल में भी  बहुत अच्छे हैं | कवितायेँ लिखने के साथ- साथ डांस करना भी बेहद पसंद है |  

रविवार, 22 अक्टूबर 2017

कविता :छोटे - छोटे हाथ हमारे

"छोटे - छोटे हाथ हमारे"

छोटे - छोटे हाथ हमारे, 
फिर भी करते काम सारे | 
कूड़ा हम उठाते हैं, 
स्वच्छ हम बनाते हैं | 
भारत बहुत बेकार हो गया,
कूड़े का यहाँ भंडार हो गया  | 
कूड़ा न हम फैलाएंगे, 
स्वच्छ भारत हम कहलाएंगे | 


कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर 

शनिवार, 14 अक्टूबर 2017

कविता: माँ का प्यार

"  माँ का प्यार  "  

मन करता है मैं छोटा बन जाऊँ, 
माँ का प्यार दोबारा पाऊँ | 
उंगली पकड़कर चलना सिखाती, 
नया संसार की बात बताती | 
क ,ख ,ग पढ़ना सिखाती,
एक से बढ़कर सपने दिखती | 
इस प्यार की प्यासी सारी दुनिया,
माँ ने दुनियाँ को सहराया | 
वो छोटी सी भी मुस्कराहट तेरी, 
हर माँ को ख़ुशी रौशनी देती | 

कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 7th ,अपनाघर 

कवि परीचय : यह हैं सार्थक कुमार जो की बिहार राज्य से अपनाघर पढ़ने के लिए ए हुआ है | दौड़ लगाना बहुत पसंद हैं | पड़े में बहुत अच्छे हैं | 

कविता: नई किरण

 " नई किरण " 


निकला नया सूरज जब,
नई किरणे कमरे में आई तब | 
मैं तो यूँ ही सोया हुआ था, 
सपनों की दुनियाँ में खोया था | 
प्यारी से एक आवाज़ आई, 
लगता था कोई जगाने है आई | 
थोड़ी गुनगुनाहट सी आवाज़ आई, 
बिस्तर से कोई जगाने है आई | 
रेशम की डोरी नया  संदेशा लाई, 
प्रेम का धागा बांधने है आई | 

कवि : संतोष कुमार , कक्षा : 4th , अपनाघर 

शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2017

कविता : अपने आप को पहचानो

 " अपने आप को पहचानो "

इंसान अपने आप को पहचानो, 
अंदर छिपे हुए रहस्य को जानो | 
इंसान अपने आप को पहचानो, 
खुद करो काबिलियत जगजाहिर, 
जिसमें हो तुम सबसे माहिर |  
कुछ बिगड़ा नहीं ,कुछ गया नहीं, 
बात है यही सही ,खुद पर दया नहीं | 
हुनर भरा है कूट -कूट कर, 
रो रहे हो खुद से रूठकर |  
एक चीज करने की ठानों, 
इंसान अपने आप को पहचानों | 
अंदर छिपे हुए रहस्य को जनों | |

कवि : रविकिशन , कक्षा : 8th ,अपनाघर 

  
कवि परिचय : यह हैं रविकिशन जो की बहुत हसमुख है हमेशा हंसी इनके चेहरे पर रहती है | खेल में दौड़ /रेस पसंद है | कवितायेँ हमेशा अच्छी लिखते हैं | पढ़ाई के लिए हमेशा एफर्ट करते रहते हैं | बिहार राज्य से बिलोंग करते हैं | अपने परिवार की हमेशा देखभाल करता है | 

कविता : घबराइए मत

" घबराइए मत "

अगर ख्याल हो बड़ी तो घबराइए मत,
लाखो सपने पहले से ही सजाइये मत | 
मेहनत और लगन बरक़रार रखिये,
 अगर कदम रखा है अपने हौसलों से | 
तो वापसक़दमों को  लौटाइये मत, 
कुछ चलने के बाद विचार मन में आएंगे | 
लेकिन उन विचारों से लडख़ड़ाईये मत | | 

कवि : देवराज कुमार  ,कक्षा : 8th ,अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं देवराज कुमार ,कक्षा ५ से ७ तक इनमें एक ऐसी सिखने की लगन जाग उठी है कि  हर वक्त कुछ नया सिखने की कोशिश करते हैं चाहे वह डांस करना हो या फिर किसी प्रोग्राम में ऐंकरिंग करना हो इसके लिए हमेशा आगे रहते हैं |  खेल में भी बहुत अच्छे हैं | कवितायेँ तो गजब की लिखते हैं | 

गुरुवार, 12 अक्टूबर 2017

कविता : जब अपना देश था गुलाम,

" जब अपना देश था गुलाम" 

जब अपना देश था गुलाम, 
अंग्रेजों का था यहाँ कोहराम | 
देश में न थी कोई खुशहाली, 
देशवासियों पर करते थे अत्याचारी | 
गाँधी ने देशवासियों का साहस बढ़ाया 
अपने हक़ के लिए विरोध करवाया | 
खाकी धोती और घड़ी लटकाये ,
जीवन में सत्य अहिंसा अपनाये | 
अंग्रेजों को कर दिया मजबूर ,
जाना पड़ा भारत छोड़कर दूर | 
स्वतंत्र हुआ अपना भारत देश,
खुशियों से भर उठा भारत देश | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा 8th ,अपनाघर 


कवि परिचय : हमेशा पढ़ाई में रूचि रखने वाले ये  हैं प्रांजुल कुमार | औरों के साथ हमेशा दोस्तों के तरह बातें करते हैं | कविताएं लिखने मैं रूचि रखते है | खेलने में वॉलीबाल बहुत पसंद है | 

कविता : आदत से लाचार

" आदत से लाचार " 

लोग हो गए हैं आदत से लाचार, 
इसीलिए गंगा को कर दिया है बेकार | 
एक नहीं नालें  बहाये हैं हज़ार, 
तभी मिलते है पिने को पानी बेकार | 
इसीसे बीमारी उत्पन्न हो रही है हज़ार, 
डॉक्टर के बढ़ गए हैं पगार | 
कुछ नहीं करवा रहे हैं सरकार, 
सिर्फ करते हैं फर्जी का प्रचार | 

कवि : कामता कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर
कवि परिचय :- यह बालकवि कामता कुमार इन्होंने कवितायेँ लिखना कक्षा 5 से लिखना शुरू किया था और आज के दिन ये बहुत अच्छी कवितायेँ लिखने लगे हैं | कभी यह छात्र ईंट भठ्ठों में मिटटी से खेला करता था लेकिन अपनाघर की मदद से यह एक बहुत अच्छा छात्र बन गया है पढ़ाई में रूचि दिन पर दिन बढ़ती जा रही है | खेल में क्रिकेट बहुत पसंद है लोग इनको प्यार से जॉन्टी रुट कह कर पुकारते हैं | 

बुधवार, 11 अक्टूबर 2017

कविता : पृथ्वी निराली

 " पृथ्वी निराली  "

सुंदर सा संसार हमारा, 
जिस पर बसा है दुनिया सारा | 
ढूंढ आए और जग सारा,
कहीं नहीं मिला पृथ्वी जैसा सहारा | 
पृथ्वी बानी खुली आसमानों में, 
तारे टिमटिमाएँ रत में | 
दिन में खो जाता है तारा, 
फिर न दिखाई देता तारा | 
क्योंकि पृथ्वी है सुंदर निराला | | 

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर

 कवि परिचय : यह हैं नितीश मांझी ये बिहार राज्य से यहाँ पढ़ने के लिए आये हैं | विज्ञान और अंतरिक्ष के बारे में पढ़ने की बहुत रूचि रखते है | कवितायेँ भी अधिकतर अंतरिक्ष पर लिखते हैं | बहुत ही शांत स्वभाव के रहने वाले नितीश के माता - पिता मजदूरी का कार्य करते हैं | क्रिकेट और फुटबॉल खेलना पसंद करते हैं | 

शनिवार, 7 अक्टूबर 2017

कविता : वो सुबह कब आएगी

 " वो सुबह कब आएगी "

वो सुबह कब आएगी,
जब सारी दुनियाँ खुशियाँ मनाएंगी |  
सारे  सरहद ख़त्म हो जाएंगे, 
दुश्मन भी अपने भाई बन जाएंगे | 
वो सुबह कब आएगी | | 

जब सारी प्रथाएं दब  जाएंगी,
जाति -वादी की बातें ख़त्म हो जाएंगी | 
जब हर जगह दुआऍं होगी, 
हम सभी पर आशाएँ होगी | 
वो सुबह कब आएगी | | 

दुःख के मंजर न होंगे, 
खुशियों के समंदर होंगे | 
जहाँ अपना पराया छोड़कर, 
देश में एकताएँ होगी |  
वो सुबह कब आएगी | |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर

कवि परिचय : यह हैं  प्रांजुल कुमार जो की छत्तीसगढ़ से आए हुए  हैं | मन में सोच के समंदर से भरा हुआ है | ये कविताएं बहुत ही रोचकभरी होती हैं | हमेशा कुछ नया करने की सोचते हैं | गणित विषय को बहुत मनाता देते हैं | 

बुधवार, 27 सितंबर 2017

poem : Journey of life

" Journey of life " 

In the journeyof my life .
hindrance will be any where .
but the journey of aim .
 never stop anywhere . 
will I arrive at my aim ?
If today Iwill fail .
never will chance come again . 
my heart is saying .
you devote of precious time. 
if you want to gain something in life

poet : vikram kumar , class : 7th ,Apnaghar



Introduction : He is Vikram kumar belongs to Bihar state but he is living in Apnaghar campus for study .He has abundant of thinking power i,e he write very well and nice poems .He intrested in so many activities such as football , cricket ,kabaddi etc.always smile in his face .we hope that he will write many new and amazing poems in future .
  

शनिवार, 23 सितंबर 2017

कविता : गर्मी

" गर्मी "  

उफ़ ये गर्मी है बेनरमी,
                                                                कितनो को है इसने सताया | 
                                                               बड़े - बड़ों को मार भगाया, 
                                                               बिना पानी के राहत नहीं | 
                                                              ठण्ड के लिए कहीं छाँव नहीं |  
                                                             रूहअफज़ा पीओ बर्फी खाओ, 
                                                             गर्मी को करारा जवाब दिलाओ | 
                                                               क्या करें ये दिन ही ऐसा है, 
                                                                एक दिन पूरे साल के जैसा है |  

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर कानपुर 


                                                          
कवि परिचय : यह छत्तीसगढ़ के रहने वाले प्रांजुल है | ये अपनाघर में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | इनकी कविताएँ बहुत अच्छी होती है | पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | गणित इनका प्रिय विषय है | 

शनिवार, 9 सितंबर 2017

कविता : आसमान को छूना

" आसमान को छूना "

मैं छूना चाहता हूँ आसमान को ,
हर मुश्किल  की हर बाधाओं  को | 
टक्कर देकर आना चाहता हूँ, 
आसमान में चमकते तारों को| 
हमेशा अपना रौशनी बिखराये 
रखते हैं निर्धन हो या धनि, 
प्रेणना के जलवे फैलाये रखते हैं | 
हर एक को साथ लेकर चलना, 
वे द्रश्य रखते हैं |  

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 7th ,अपनाघर

कवि परिचय : यह विक्रम कुमार है जो की बिहार से आए हैं | यह हर काम में अपना बहुत एफर्ट देते हैं चाहे खेल कूद में या फिर पढ़ाई में हो | हर दम चेहरे में ख़ुशी रहती है | यह रेस में बहुत ही तेज से भागते हैं | कवितायेँ इनकी बहुत ही अच्छी होती हैं |  

कविता : नोटबन्दी

" नोटबन्दी "

लोग हो गए हैं बेहाल, 
पुराने नोटों का हुआ हलाल | 
अमीर हो गए बेमिशाल ,
गरीब हो गए लालम - लाल | 
क्योंकि पुराने नोटों के हो गए जमाना, 
लोग एक - दूजे के हुए परमाना | 
मोदी ने किया पुराने नोटों का खात्मा, 
काले  धंदे वालों की शांत हुई आत्मा | 

कवि : कामता  कुमार , कक्षा : 6th ,अपनाघर
 

कवि परिचय : यह कामता कुमार हैं ये बिहार  से आये हुए हैं |  अपनाघर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है जितना की कविता लिखने में है | कक्षा 6th के छात्र हैं | इनका परिवार ईंट भट्ठों में मज़दूरी का कार्य करते हैं | 

शुक्रवार, 8 सितंबर 2017

कविता :हौशलों से भरा हो

" हौशलों से भरा हो "  

मेरे जीवन की राह में ,
हौशलों से भरा हो |
 मेरी यही ख्वाईश है, 
मेरा जीवन हौशलों से भरा हो | 
मेरे जीवन की राह में ,
हर तूफान से मैं उलझा हूँ 
हर मुशीबत से मैं लड़ूँ |
 मेरे जज्बातों को बाहर आने का,
 इंतज़ार मैं बड़े उत्साह से करूं |  
 मेरा जीवन की राह में, 
हौशलों से भरा हो | 

कवि :संजय कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 

कवि परिचय : यह हैं संजय कुमार हाल ही में कवितायेँ लिखना शुरू किया है और जल्द ही ये कविकार बन गये हैं | अपनाघर में रहकर पढ़ाई कर हैं | हमेशा मुश्कुराते रहते हैं | स्पोर्ट्स में बहुत अच्छे हैं | 

कविता :सावन

 " सावन "

सावन का है मौसम आया,
तालाब में है पानी भर आया | 
 बच्चे नहाते तालाब में ,
चिड़िया चहके बैग में |  
चरों तरफ कीचड़ - कीचड़,
लोग रहते हैं भीतर - भीतर | 
सावन का है मौसम आया ,
तालाब में पानी भर आया | 

कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 7th ,अपनाघर


कवि परिचय : यह हैं अखिलेश कुमार जो की बिहार राज्य से बिलोंग करते हैं | यह पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | गणित में बहुत समय बिताते हैं | कविता बहुत ही कम लिखते हैं लेकिन जब लिखते हैं तब बहुत ही अच्छा लिखते हैं | इनसे घरवालों की बहुत उम्मीदें हैं | 

मंगलवार, 5 सितंबर 2017

कविता : आसमान को छूकर आएंगे

" आसमान को छूकर आएंगे"  

हमें भी जाना है आसमान में 
इस सितारों के संसार में | 
ये जुगनू जैसे सितारों को 
    हम पकड़कर और छूकर आएंगे, 
    पृथ्वी को स्वच्छ और सुंदर बनाएंगे | 
जगह - जगह से हम कूड़ा उठाएंगे,
    भारत को स्वच्छ और सुंदर बनाएंगे |  
हमें भी जाना है आसमान में ,
इस सितारों के संसार में | |  
कवि : कुलदीप कुमार ,कक्षा :6th  ,अपनाघर 
कवि परिचय : यह कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ से आय हुआ हैं | इनको डांस करना बहुत पसंद है | कक्षा में हमेशा ध्यान देते हैं | इनके माता - पिता गृह निर्माण का कार्य करते हैं | हमें उम्मीद है की आगे चलकर यह अपनी बेहद रचना भरी कवितायेँ लिखेंगे | 

कविता : स्वच्छ भारत

" स्वच्छ भारत "

चलो - चलो यारा कुछ नया करें ,
गन्दगी को इस देश से साफ करें | 
भूलने की बीमारी को छोड़कर,
नदियों से नहर को मोड़कर |  | 
चलो - चलो यारों कुछ नया करें, 
इस देश को गन्दगी से मुक्त करें | 
न लगा सकते हो झाड़ू, 
तो लगाओ पेड़ मेरे यारो | 
गन्दगी साफ होगी सचमुच, 
साफ हो जाएंगी दिशा चारो| 
चलो - चलो यारो कुछ नया करें | |

  कवि : समीर कुमार , कक्षा: 7th , अपनाघर


कवि परिचय : यह समीर कुमार हैं |गाना  इनका पसंदीदा चीज है जिसको हर समय गुनगुना रहते हैं | कवितायेँ भी बहुत अच्छे लिखते है  | इलाहबाद के रहने वाले हैं इनके माता - पिता को इनसे बहुत सारी उम्मीदें हैं  क्योंकि यह पहली जनरेसन है जो पढ़ाई कर रही है | 

रविवार, 3 सितंबर 2017

कविता : आज़ाद

" आज़ाद "  

आज़ाद रहना है मुझे 
आज़ाद जीना है मुझे | 
कुर्बानियों से न घबराते, 
ख़ुशी - ख़ुशी अपने जान दे जाते | 
हर मुश्किल का सामना कर पाते, 
हौशले को कभी न हारने देते|  
 आज़ाद ही नाम कहलाते,
आज़ाद जीने है मुझे | 
आज़ाद मरना है मुझे | | 
कवि : नितीश कुमार ,कक्षा : 7th , अपनाघर 
कवि परिचय : यह नितीश कुमार बिहार के गया जिले से हैं | यह  पढ़ाई मेंबहुत अच्छे हैं हमेशा स्पेस के बारे में रूचि रखते हैं और एक अस्ट्रोनॉमर बनना चाहते हैं | कविता भी बहुत अच्छे से लिखते हैं | यह बहुत ही गंभीर रहते हैं |  

शनिवार, 2 सितंबर 2017

कविता : आओ नया संसार बनाएं

"आओ नया संसार बनाएं "

आओ नया संसार बनाएं ,  
इस धरा को फिर दोहराएं | 
अत्याचार को मार भगाएं, 
सत्य अहिंसा को अपनाएं |  
फैक्ट्रियाँ सारी बंद करवाएं,
प्यार भावना को हम अपनाएं | 
एक दूजे के तरफ ले जाएं, 
आओ नया संसार बनाएं | 
इस धरती को सुन्दर बनाएं | | 

कवि : संजय कुमार ,कक्षा : 7th ,अपनाघर 

कवि परिचय : ये हैं संजय कुमार झारखण्ड से हैं | यह मेहनती होने के साथ - साथ पढ़ाई भी करते हैं | कवितायेँ बहुत ही कम लिखते हैं लेकिन लिखते हैं तो बहुत ही ला जवाब | क्रिकेट बहुत पसंद हैं जिसमे ये एक गेंदबाज की भूमिका निभाते हैं | इनकी कविताओं में कुछ सनसनी भरी चीजे होती हैं | 

शुक्रवार, 1 सितंबर 2017

कविता : काश मैं चिड़िया बन जाऊँ

"काश मैं चिड़िया बन जाऊँ " 

काश मैं चिड़िया बन जाऊँ, 
दूर - दूर तक सैर लगाऊँ | 
रोज़ सुबह पंख फैलाऊँ, 
दूर - दूर से दाना लाऊँ | 
दो दिन उसको मैं चलाऊँ, 
कोई पकडे तो फुर्र हो जाऊँ|  
काश मैं चिड़िया बन जाऊँ | | 

कवि : कामता कुमार , कक्षा : 6th ,अपनाघर
 कवि परिचय : यह कामता कुमार बिहार के गया जिले से है  | यह अपनाघर घर में चार साल से रहकर अपनी पढ़ाई को और मजबूत कर रहे हैं | यह पढ़ाई के साथ - साथ कवितायेँ ,कहानियां भी लिखते है  | इनको क्रिकेटखेलना बेहद पसंद है | घर में अपने माता - पिता के कामों में भी हाथ बटाते हैं | 

गुरुवार, 31 अगस्त 2017

कविता :पंद्रह अगस्त

 " पंद्रह अगस्त " 

आओ चले पंद्रह अगस्त मनाए ,
सारे हिंदुस्तान में ध्वज लहराए | 
सबको बताएं तिरंगा है शान हमारा, 
पंद्रह अगस्त का दिन खाश है हमारा |  
स्वतंत्रता सेनानी का अरमान है हमारा,
हिंदुस्तानी बच्चों का पैगाम है हमारा,
 स्वतंत्रता दिवस पर खुशहाल देश हो हमारा | |

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 7th ,अपनाघर


कवि परिचय : मैं विक्रम कुमार हूँ | मेरे माता - पिता बिहार के रहने वाले हैं | मैं अपनाघर में रहता हूँ जहाँ मेरी पढ़ाई को कुछ नया मोड़ मिल रहा है जिससे मैं अपने सपनो को सच कर दिखा सकता हूँ |  मैं अपनी कविताओं में जोश भरे देशभक्ति के लिए कविता लिखता हूँ | 

बुधवार, 30 अगस्त 2017

कविता : यह राही की आवाज़ है

" यह राही की आवाज़ है
यह राही की आवाज़ है,
कह राही है पुकारकर | 
आशा मेरा मंजिल है, 
संघर्ष करना मेरा रास्ता |  
धैर्य ही मेरी  संभावना, 
बस यही है मुझको कहना | 
दूर है मंजिल ,तो दूर ही सही,,
रस्ते में काँटे है ,तो काँटे ही सही | 
वह सफलता ही क्या, 
जो सरलता से मिल जाये | 
वह राही क्या, 
जो कठिनाइयों से पीछे हठ जाये |

कवि : अखिलेश कुमार ,कक्षा : 7th , अपनाघर  

कवि परिचय : मैं अखिलेश कुमार अपनाघर में रहकर शिक्षा ग्रहण कर रहा हूँ | मेरा माता - पिता ईंट भठ्ठों में मजदूरी का कार्य करते हैं | मुझको कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | मैं बिहार से हूँ | 


मंगलवार, 29 अगस्त 2017

Poem: Don't change intension

“Don’t change intension”

IF THE PEOPLE IS LAUGHING ON YOU,
IT’S MEAN YOU ARE DOING SOMETHING NEW.
THEY WILL COMPELLED YOU TO CHANGE VIEW,
AND GIVE IDEA TO YOU.
WOULD BE THINK I CAN CRAZZY,
AND IT WILL BE MAKE YOU MORE LAZY.
BUT YOU PATIENCE AND KEEP ATTENTION,
DON’T CHANGE YOUR INTENSION.

POEM WRITTEN BY : DEVRAJ KUMAR

CLASS:  7TH (a)


Introduction : He is devraj and belongs to Bihar .His parents works in brickyards .He is getting his study from Apnaghar .He is interested in dance and to write poems . He has lots of dream to become something .

शनिवार, 26 अगस्त 2017

poem -We suprised beneath the sky.

why we suprised 

We suprised beneath the sky. 
Why we can not go so high ?
Would be also have feather,
Then we can fly together. 
to sit on the clouds, 
and solve our all doubt .
we face first ray of Sun 
then release the ray of bun 
no any problem and tension
all bad deads forgot,
 switch on television 

Poet - Pranjul kumar , Class -8th , Apnaghar

Introduction -He is Pranjul kumar and he belongs to Chatisgarh .He is from poor family .present time he is living in Apnaghar institute for education .He loves to dance , study listeining music .

शुक्रवार, 25 अगस्त 2017

कविता :सीखो

सीखो 
फूलों से मुस्काना सीखो, 
चिड़ियों से यूँ गुनगुनाना सीखो | 
हवाओं से लहराना सीखो, 
समंदर से यूँ झूमना सीखो |  
पेड़ों से कुछ पाना सीखो, 
भोरों से गुनगुनाना सीखो | 
हिमालयों जैसी सफलता पाना सीखो, 
सूरज से रौशनी फैलाना सीखो |  
चाँद से चमकना सीखो, 
ये है जीवन की अच्छाई | 
सीखते रहो तुम मेरे भाई | 

कवि - देवराज , कक्षा - 7th , अपनाघर 

कवि परिचय - ये हैं बालकवि देवराज कुमार बिहार के रहने वाले है | कवितायेँ लिखने का शौक कक्षा ५ से था यही कारण है कि  ये आज यहाँ है | इसके परिवार वाले ईंट भठ्ठों के मजदूर हैं | इनको डांस करना बेहद पसंद है | 

शनिवार, 19 अगस्त 2017

कविता- प्यारे बनो ,न्यारे बनो

प्यारे बनो ,न्यारे बनो 

प्यारे बनो ,न्यारे बनो,
सबके दिल के दुलारे  बनो | 
करो सदा अच्छे काम ,
जिससे हो जग में तेरा नाम | 
जागनी  पड़ेगी सारी  रात, 
अगर  पाना चाहते हो अपना पथ |  
समय को कभी नहीं करना बर्बाद, 
हमेशा रखना यही याद | 
जिंदगी का लो पूरा आनंद, 
जैसे जिए थे विवेकानंद | 
कवि -देवराज कुमार , कक्षा - 7th ,अपनाघर 


कवि परिचय :  बिहार के रहने वाले देवराज | आजकल कविताओं के बादशाह माने जाते है | ये हमेशा कुछ नई सोच  के साथ अपनी कविताओं  को ख़ूबसूरत बनाते है | ये क्रिकेट खेल में भी माहिर है|  ए बी डिविलियर्स इनके बेस्ट खिलाडी है | इनको   डांस करना बेहद पसंद है | उम्मीद है की ये हमेशा नई सोच के साथ अपनी कविता को लिखेगें | 

बुधवार, 5 जुलाई 2017

कविता :बाल गोपाला

 " बाल गोपाला "

लल्लन के लाल ,बाल गोपाला,
यशोदा का नटखट नंदलाला |
पूरे मथुरा में बजाता मुरली,
बंसी से आवाज़ निकलती सुरीली | 
मन को मोह लेने वाला,
मथुरा का था बाल गोपाल |
सुदामा संग चुराता मख्खन,
अद्भुद प्यारा था वो बचपन |
गौ चराता मुरली बजाता,
राधा संग प्रेम की बंसी बजाता |
गोपाला था तो बहुत कला,
फिर भी था एक सच्चा दिलवाला |
कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th ,अपनाघर 

कवि का परिचय : छत्तीसगढ़ के रहने वाले ये हैं  प्रांजुल | अपनाघर का सदस्य है | इनको कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | अपनी हर एक कविता को मन से लिखते है | खेलने का भी शौक है | इनके परिवार वाले मजदूरी का कार्य करते है | अपनाघर में रह कर ये अपनी शिक्षा को और भी मजबूत बना रहे है | हमें उम्मीद है कि इनकी कविता जरूर सबको पसंद आएगी |