शुक्रवार, 15 दिसंबर 2017

कविता : प्यारी माँ हमारी

"प्यारी माँ हमारी "

रोज़ सुबह वह मुझे उठती है,
फिर वह मुझे नहलाती है |   
अपने नरम - नरम हाथों से, 
गरम - गरम नाश्ता खिलाती है | 
हाथ पकड़कर स्कूल ले जाती, 
शाम ढले तो घर ले आती | 
बैठ मुझे वह पाठ पढ़ाती, 
समझ न आये तो फिर समझाती 
क , ख ,ग वह मुझे सिखाती, 
वह मेरी है सबसे प्यारी |  
वह मेरी है सबसे  न्यारी, 
वह तो है प्यारी माँ हमारी| 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर 

1 टिप्पणी:

'एकलव्य' ने कहा…

आपकी रचना बहुत ही अच्छी लगी। लिखते रहिए शुभकामनायें "एकलव्य"