बुधवार, 31 अक्टूबर 2012

शीर्षक : यह देश का हाल है

शीर्षक : यह देश का हाल है 
यह देश का हाल  है ,  जनता तो  बेहाल है ।
नेताओं की मनमानी है , जनहीत में आनाकानी है ।
दंगे और लड़ाई से इनको प्रॉफिट है ,
    आगे पीछे  चमचे इनकी बुलेट प्रूफ जाकिट है ।
सुनते है जब कि यहाँ घटना घटी ,
 चले जाते हैं वहां घूमते ,
और साथ में ' दैनिक जागरण ' में फोटो खिचवाना भी  भूलते   ।
  इनका तो यही व्यापार  है,
तभी तो इनके पास चार बंगले और  सफारी कार है ।
आते है जब चुनाव निकट ,
बनते है ऐसे जैसे गरीब ये हैं हम नहीं ।
और  जीतकर 10,000 वोटो से 
समझते हैं कि हम ओबामा से कम नहीं ।
ऐसे लोगों को इस देश से भागना है ,
भ्रस्ताचार को मिटाना है ।
इस देश को पूर्ण स्वतंत्र बनाना है ।
नाम : संजय कुमार 
कक्षा : 12

लता मंगेशकर

   शीर्षक : लता मंगेशकर
 इंदौर की है वह बाला ।
 जिनको पंडित दीनानाथ ने पाला ।।
 संसार मे जो डंका  बजया ।
 सबको अपना लोहा मनवाया ।।
 लता मंगेशकर  ने ऐसा जादू चलाया ।
  कुदरत ने खुश होकर भारत रत्न दिलवाया ।।
 मै  भी उनका प्रशंसक हुई हूँ ।
  उनके संगीत सुनने को उत्सुक हूँ ।।
 चाहता हूँ यह की रहे सदा वो अमर ।
  नाम है जिनका लता मंगेशकर ।।
नाम: संजय कुमार 
स्कूल :पंडित रामनारायण इन्टर कॉलेजे 
कक्षा :12

मंगलवार, 30 अक्टूबर 2012

शीर्षक : हड़ताल

     शीर्षक : हड़ताल
रोज -रोज ये कैसी हड़ताल ।
कभी बस करे हड़ताल ।।
कभी टेम्पो करे हड़ताल ।
रोज -रोज ये कैसी हड़ताल ।
कभी कर्मचारी करे हड़ताल ।।
कभी नेता करे हड़ताल ।
कभी सामजिक कार्यकर्ता करे हड़ताल ।
रोज -रोज ये कैसी हड़ताल ।।
कभी स्कूल करे हड़ताल ।
कभी कॉलेज करे हड़ताल ।।
कभी स्टूडेंट करे हड़ताल ।
 रोज -रोज ये कैसी हड़ताल।।
नाम : चन्दन कुमार 
कक्षा :7
अपना घर , कानपुर 

सोमवार, 29 अक्टूबर 2012

शीर्षक : योगी

शीर्षक : योगी 
अवसर मिले करो प्रयोग ,
चाहे वह क्यों न हो योग ।
 योग के करने से भी बढ़ी हैं कई चीजे  ,
चाहे हो मानसिकता की बीमारी ।
ख़तम हो जाये इससे बीमारी सारी ,
क्योंकि योग करने से बढती है कई चीजे ।
यदि योग की साधना करली पूरी ,
तो आ जाएगी तुम्हारे अंदर श्रद्धा और सबूरी ।
श्रद्धा से है जीना जरूरी ,
बुरे समाज के लोगो से बचना अति जरूरी ।
अब के हर बालक, युवाओं के मुँह  पर  है गाली ,
एक हाथ से बजे न कभी भी ताली ।
ये है सब एक तरह के रोगी ,
इनसे बचना है तो बन जा योगी ।
नाम : आशीष कुमार 
कक्षा : 10
अपना घर कानपुर      

शीर्षक : चाह नहीं

शीर्षक : चाह नहीं 
चाह  नहीं है मिलने कि ,
फिर भी जाओ जबरन मिलने को ।
चाह नहीं है विद्यालय जाने की ,
फिर भी जबरन जाओ कक्षाओं में  ।
चाह नहीं है सोने की ,
फिर भी जाओ जबरन बिस्तर में ।
चाह  नहीं है बोलने की,
फिर भी जबरन बोलो लोगों से ।
 चाह नहीं है लोगों को देखने की ,
फिर भी जबरन देखो लोगों को ।
चाह  नहीं है जनलोक में रहने की,
फिर भी जबरन रहो इस लोक में  ।
चाह नहीं कुछ बनने की ,
 फिर भी जबरन अफसर बनने की ,
अक्सर ऐसा ही होता है ।
जो चाहो वह होता नहीं ।
               नाम : अशोक कुमार 
कक्षा : 10 

शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2012

शीर्षक : संसार

   शीर्षक : संसार
 संसार के सभी जीवजन्तु ।
 रहते है सब मिलकर ।।
 कुछ जंतु है अनोखे ।
 जिनको हम सभी लोगो ने ।।
 कभी नहीं देखे ।
 प्राकृतिक मे संतुलन ।।
 कैसे बना रहता है ।
 शेर जंगल मे और ।।
 इंसान शहर मे रहता है ।
 अगर ऐसा न होता ।।
 प्राकृतिक मे सन्तुलन न रहता।
नाम : ज्ञान कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर ,कानपुर 

सोमवार, 22 अक्टूबर 2012

शीर्षक : संघर्ष...

   "संघर्ष "

 हो चक्र   चाहे ही भवर ।
 हरगिज कभी डरना नहीं।।
 आ जाए चाहे सुनामी ।
 तुम पीछे हटाना नहीं ।।
 संघर्स करके रोज तुम ।
 जीवन के रास्ते मे आगे बढ़ते रहो।।
 आ जाए चाहे आंधी ।
 उन झोंको से तुम डरना नहीं ।।
 यह जिंदगी अनमोल है ।
 इसे कभी खोना नहीं ।।
 संघर्स के रास्ते पर चलकर ।
 रास्ते में सोना नहीं ।।
नाम :संजय कुमार , कक्षा :12 
स्कूल : पंडित रामनारायण इन्टर कॉलेज ,कानपुर 

रविवार, 21 अक्टूबर 2012

शीर्षक : एक दिन

   "एक दिन"

कला घना अँधेरा रात था ।
बड़ा ही भयानक रात था ।।
पवन भी धीरे -धीरे बह रहा था ।
मानो मुझसे कुछ कह रहा था ।।
किचन मे कुछ शोर था ।
मेरे मन मे भी जोर था ।।
सर -पट , झटपट मै अन्दर भागा।
खिड़की से तब मै अन्दर झाँका ।।
पसीने से में डूब गया था ।
फिर भी मुझसे रहा न गया था ।।
सोचा की अब किचन मे जाऊं।
सहसा आवाज सुनाई दी म्याऊँ।।
जल्दी -जल्दी दरवाजा खोला ।
एक मोटा बिल्ला गुर्राकर बोला ।।
मुझको तो अब मजा भी आया ।
बुद्धू हूँ बडबडाते हुए वापस आया।।
नाम :संजय, कक्षा :12 
स्कूल : पंडित रामनारायण इन्टर कॉलेज ,कानपुर 

शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2012

शीर्षक : आसमान

शीर्षक : आसमान 

आसमान तो खुला हुवा है ।
पानी झरना जैसे  बरस रहा है।
आओ बच्चो खूब नहाओ ।
हँसो कूदो और गाना -गाओ ।
बचपन है अपना मस्ती का ।
इसमें तुम मस्त -मस्त हो जाओ ।
बचपन हो न पाए पचपन ।
ठहाके मारो लगा के तन-मन ।
आसमान तो खुला हुवा है ।
मारकर ईटा तारे तोड़ो ।
और चाँद सितारे तोड़ो।
बच्चे होते है सच्चे ।
प्यारे - प्यारे दिल के अच्छे ।
आसमान तो खुला हुवा है ।
पानी झरना जैसे  बरस रहा है ।

नाम : मुकेश कुमार, कक्षा : 11,  "अपना घर",  कानपुर

रविवार, 14 अक्टूबर 2012

शीर्षक : चुटकुला

    शीर्षक : चुटकुला
 पहला व्यक्ति :यार मुझे पंडितो से
 बहुत ही नफरत होती है ,
 और  बहुत गुस्सा आता है ।
 लगता है कि पेट्रोल डालकर आग लगा दूँ
 दूसरा  व्यक्ति: तो फिर सबसे पहले तू अपने
 आप को आग लगाकर फूंक ले ।
 पहला व्यक्ति: क्यों?
 दूसरा  व्यक्ति: क्यों कि तू खुद भी तो पंडित है
 पहला व्यक्ति: :यार मुझे आत्महत्या करने से दर लगता है ।
नाम :   आशीष कुमार 
कक्षा : 10
अपना घर ,कानपुर 

शनिवार, 13 अक्टूबर 2012

शीर्षक :मन

      शीर्षक :मन
 जो कहता है तू कह दे ।
 तू न डर किसी से ,
 जो बहकावे तुझको ।
 मत आना उसके बहकावे मे ,
 सोच के अपने मन मे ।
 करले पक्का वादा मन में ,
 कठोर बनने दे अपने को ।
 न  बहके   रोक ले अपने  मन को ,
 मन बड़ा ही चंचल ।
 मन बहके तो मच जायेगी हल -चल ।
 यदि मन को रखेगा ठान के ,
 तभी तो आगे बढ़ पायेगा सीना तान के ।
नाम : आशीष कुमार 
कक्षा : 10
अपना घर ,कानपुर 

गुरुवार, 11 अक्टूबर 2012

शीर्षक :जो कली खिली बाग में ...

 "जो कली खिली बाग मे"

जो कली खिली बाग में ।
जों कली है समाज मे ।।
वह क्यों कुचल गई ।
फूल बनकर कली ने जग को महकाया ।।
क्यों कि फिर कली को समाज ने ठुकराया ।
फूलों का खिलान तो गले का हार होता है ।।
क्यों कि ये गले का फंद्दा बन गया ।
जिस कली का हार हो ये ।।
कली फूल बनकर सारे।
संसार को महकाएगी ।।
लेकिन कली को फूल बनाने का मौका तो मिले
तब तो वह कुछ करके दिखाएगी ।।
नाम : जितेन्द्र कुमार, कक्षा : 9, "अपना घर" ,कानपुर

रविवार, 7 अक्टूबर 2012

शीर्षक : कितने बिगड़े बच्चे

      शीर्षक : कितने बिगड़े बच्चे
    कितने बिगड़े बच्चे सारे ,
   आपस मे टोलिया बनाते है। 
  कट्टा से गोली चलाते है ,।
  और  साधना कट बाल कटाते है। 
  और बेल बाटम की पैंट सिलाते ,
  और फैसन कोई न बच पाता ।
  महंगी वाली क्रीम लगाते ,
  और अपना चेहरा  साफ  दिखाते। 
  और खूब बॉडी स्प्रे लगाते ,
  छोटे -छोटे बाल कटवाते ।
  दाढ़ी ,मूंछे साफ  कराते ,
  जल्दी से पहचान न आते। 
  सिगरेट का वो धुआं उड़ाते ,
  फिल्म देखने रोज जाते ।
  रोज पुड़िया गुटखा खाते,
  और घर पर मारे जाते ।
  कितने बिगड़े बच्चे सारे,
नाम : जितेन्द्र कुमार 
कक्षा :9
अपना घर ,कानपुर 

गुरुवार, 4 अक्टूबर 2012

शीर्षक :- गणित

     शीर्षक :- गणित
  गुणा भाग और जोड़ घटाना।
  गणित मे है खूब ध्यान लगाना।।
  गणित मे कुछ समझ मे नहीं आती है।
  मैडम बहुत हड़काती है ।।
 समझ मे  न कुछ आता है ।
 वह बैठे हुए पछताता है ।।
 गणित जब नहीं आती है ।
 खोपड़ी गरम हो जाती है ।।
नाम : अजय कुमार
कक्षा : 6
अपना स्कूल , कालरा ब्रिक  फील्ड ,चौबेपुर 
 

बुधवार, 3 अक्टूबर 2012

शीर्षक : गांधीजी

                                               
       शीर्षक : गांधीजी
    गांधीजी आये ,गांधीजी आये ।
   साथ मे अपने आंधी लाये ।।
   गांधीजी सबको अच्छी बात सिखाते है।
   सत्य की राह चलते है ।
   सत्य की रह पर चलना है ।।
   शिक्षक यही हमें सिखाते है ।
   ज्ञान की बात यही बताते है ।।
   बच्चो को यही बात सिखाते है ।
नाम : अजय कुमार 
कक्षा : 6
अपना स्कूल ,कानपुर 

                    

मंगलवार, 2 अक्टूबर 2012

शीर्षक :- जारी

    शीर्षक :- जारी
 सोचता हूँ जिंदगी में क्या करूँ ।
 इस गंदे संसार मे कंहा रहूँ ।।
 हर जगह है दुराचारी ।
 हर जगह है भ्रष्टाचारी ।।
 और हर तरह यौन हिंस्सा है जारी।
 सोचता हूँ जिंदगी में क्या करूँ ।।
 जिधर देखो उधर है जाती वाद ।
 हर चीज के लिय है मारा मारी ।।
 इस संसार मे सुरक्षित नहीं है नारी ।
 जंहा देखो वही  यौन हिंस्सा है जारी ।।
 नाम : सागर कुमार 
 कक्षा : 9
 अपना घर , कानपुर 

सोमवार, 1 अक्टूबर 2012

शीर्षक :- धरती उठी थी खिल

  शीर्षक :- धरती उठी थी खिल
   भोर का समय था ,
   आसमान में चन्द्रमा की रोशनी ।
   फैली थी पूरी धरती पर ,
   आसमान मे काले बादलो का डेरा ।
   चन्द्रमा को घेर रहा था ,
   मैं यह देख रहा था  बैठा छत पर ।
   उसी समय  चन्द्रमा पर संकट आया था ,
   देख नजारा हवा ने मंद हँसी से मुस्काया ।
   देखते ही  देखते उसने  ऐसा रूख बदला ,
   जिससे काले बादल चंदा पर कर सके हमला ।
   पूर्व से पश्चिम को चली ,
   उत्तर से दक्खिन   को चली ।
   पवन के झोंको ने सारे बादलो को दिया झोर ,
   बेचारे डर कर भागे देख हवा का शोर ।
   अब चंदा का संकट गया था टल ,
   देख शशि की ज्योति सारी  धरती उठी थी खिल ।
नाम :आशीष कुमार 
कक्षा :10
अपना घर ,कानपुर