रविवार, 29 अप्रैल 2012

कविता :-बागों में आये आम निराले

बागों में आये आम निराले 
बागों में अब आये आम....
उनके बढ़ जायेंगे दाम,
पेड़ों में है, आम निराले....
उनके रंग है, हरे और पीले,
बागों में हम जायेंगे....
तोड़ आम खूब खायेंगे,
आमों से अब उपवन महका....
चिड़ियों से अब उपवन चहका,
आम फलों का राजा है....
जिसको खाने का कुछ अलग मजा है,
आम से आचार और जूस बनाओ....
उसको तुम भरपेट खाओ,
बागों में अब आये आम....
उनके बढ़ जायेंगे दाम,
   नाम : मुकेश कुमार
कक्षा :10 
अपना घर 
  

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