मंगलवार, 24 अप्रैल 2012

कविता :-समान अधिकार

समान अधिकार 
लड़का हुआ तो ढ़ोल बजाया....
लड़की हुई तो मातम छाया,
लड़की का उसमें दोष है। क्या....
लड़का और लड़की में तो,
फर्क हमने ही किया है....
लड़की को एक बार मौका,
अजमाने तो दीजिये....
उसको समाज में आगे,
एक बार आने तो दीजिये....
उसको अपना हुनर दिखाने तो दीजिये,
उसकी अपनी भी इच्छाएं है....
पूरा करने का मौका दीजिये,
लड़का और लड़की होने पर....
हम समान ख़ुशी में ढ़ोल बजायेंगे,
दोनों को समान अधिकार हम दिलवायेगें....
तभी तो एक साथ दोनों आगे बढ़ पायेगें,
नाम :-मुकेश कुमार 
कक्षा :10 
अपना घर   

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