रविवार, 28 जुलाई 2024

कविता :"चाँद का टुकड़ा "

"चाँद का टुकड़ा "
मै नन्हा चाँद का टुकड़ा ,
मजदूर माँ- बाप का बेटा हूँ | 
मै नन्हा चाँद का टुकड़ा ,
माँ -बाप का छोटा का कलेजा हूँ | 
शाम सवेरे सूरज चाँद ,
एकटक से देखता हूँ | 
मेरे माँ बाप आपसे रूठता मै रोता हूँ ,
आसुंओ से भरे ,मै नयन से अपने | 
चमक को फिर से छूना चाहता हूँ ,
मै दीप दुआ में मांगता हूँ | 
पंख दिला दो हाथ में ,
मै गगन में उड़ना चाहता हूँ | 
कवि :पिंटू कुमार ,कक्षा :9th 
अपना घर 

  

शनिवार, 27 जुलाई 2024

कविता :"आज़ादी "

"आज़ादी "
आजादी मिली हमें  वीरों से ,
जब लिपटे थे जंजीरों से | 
चढ़ गया सूली पर लोगो ने ,
जब अत्याचार्य किया अंग्रेजो ने |  
ख़त्म किया साम्राज्य हमारा ,
लूट लिया था ज्ञान सारा | 
बेजान हो गया शान हमारा ,
खून खौल उठा तब लोगो में | 
लहक उठी जब सोलो में ,
ख़त्म किया राज्य उसका | 
कवि :सुल्तान ,कक्षा :10th 
अपना घर 

मंगलवार, 23 जुलाई 2024

कविता :"बारिश "

"बारिश "
बारिश का आहार था,
चमकती सी धूप बरकरार था | 
बाहर जाने का करता न मन ,
ये गर्मी भी कर रही है तंग | 
अकेले नहीं वो है सूरज के संग ,
कभी बादल वर्षा देता | 
तो कभी अपना रूप दिखा देता ,
हवा के बदलाव से बदल जाता मौसम | 
टाइम- तो- टाइम बूँद भी गिरा जाता ,
रूठे हुए पौधों को उठा जाता | 
कवि :अजय कुमार ,कक्षा :10th 
अपना घर