"दुनियाँ याद करें "
इच्छा थी कुछ बड़ा करने की |
ताकी हमें भी दुनियाँ याद करें ,
लोग तो कहते है बहुत कुछ |
पर क्यों हम उन पर विश्वास करें ,
हर कोई तुम्हे गलत रास्ता दिखाएगा |
और भटकाएगा ,
पर विश्वास मत करना उन पर |
जो तुम्हे ही नीचे गिराएगा ,
भटकाने के किए तो सब मिलेंगे |
लेकिन साथ देने के किए कोई नहीं ,
इच्छा थी कुच्छ बड़ा करने की |
ताकि हमें भी दुनियाँ करे ,
कवि :सुल्तान ,कक्षा 8th
अपना घर
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