मंगलवार, 28 जनवरी 2020

कविता : मिलेगी तेरी हर मंजिल

" मिलेगी तेरी हर मंजिल "

हंसकर जीना है तो 
उदासी छोड़ दे ,
हर मोड़ पर लड़ना है तो 
बाजुओं को जोड़ दें | 
हठ करने की आदत सी है जो 
यूँ ही रूठना छोड़ दें | 
आग की तरह छलकना है तो  
अपनी राह को चुन लें | 
हँसकर जीना है तो
उदासीपन छोड़ दे | 
स्वतन्त्र जहाँ में रहना है तो 
हर वॉर को ठोक दे | 
मिलेगी तेरी हर मंजिल 
अगर तू कछुवा के तरह चले दे | 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी  छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत  शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं |



कविता : कोशिश

" कोशिश "

कोशिश करने के बाद भी
यूँ ही हो जाती है हार | 
निराश मत बैठना तुम
अपने मन को मार |
बढ़ते रहना आगे सदा
हो जैसा भी मौसम
पा लेती है मंजिल
चींटी भी गिर गिर का हर बार
ऐसा नहीं की राह में रहमत नहीं रही
करती है तो किनारा  नहीं है दूर
अगर तेरे इरादे में बुलंद बनी
रही तो सितारा नहीं दूर 

कवि :नवलेश कुमार , कक्षा : 5th  , अपना घर

कवि परिचय : यह अकविता नवलेश के द्वारा  गई है  बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं| नवलेश को क्रिकेट खेलने का बहुत शौक है | नवलेश  एक बहुत ही अच्छा बालक है | पढ़ाई में बहुत अच्छे है | 

सोमवार, 27 जनवरी 2020

कविता : गणतंत्र दिवस

" गणतंत्र दिवस "

इस गणतन्त्र  दिवस की बातें हैं कुछ खास,
जिस पर मुझे अभी भी नहीं हो रहा है विश्वास | 
वो सविंधान जिसका अभी तक छिपा हुआ था राज़,
जिसकी वजह से बंद हो गए थे सारे कामकाज |
देश के खातिर जिन्होंने सब कर दिया न्योंछावर,
जिसके दिलों में थे देश को आज़ाद करवाने के तेवर | 
जब यहाँ पर राज करते थे अंग्रेजी मेयर,
कर दिया था भारत के कई लोगों को बेघर | 
जिन लोगों को लगी थी देश को स्वतंत्र  प्यास,
इस गणंत्र दिवस की बातें हैं कुछ खास | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं और अभी "अपना घर" नामक संस्था में रहकर अपनी शिक्षा पूरी कर रहे हैं | समीर क गीत गाना बहुत अच्छा लगता है | समीर कुछ नया सिखने के लिए तत्पर रहते हैं |  

गुरुवार, 23 जनवरी 2020

कविता : शब्दकोश

" शब्दकोश "

शब्दकोश के भंडार में,
पड़ी हजारों ज्ञान | 
जिसको पता न हो 
करो तुम अपना परचम बान 
उठाओ शब्दकोश ढूंढों | 
नहीं तो हो जाएगा 
सभी लोग को धोखा | 
उठाओ शब्दकोश पाओ 
सफलता की कुंजी | 
जो सभी के लिए पूँजी | | 

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | विक्रम को कुछ नया सिखने में दिलचस्पी रखते हैं | कुछ नया कर दिखने के लिए तत्पर रहते हैं | अपने आप को निखारना चाहते हैं |  

बुधवार, 22 जनवरी 2020

कविता : बचपन के दिन

" बचपन के दिन "

वे लम्हें जो बचपन के चले गए,
वह उम्र जो घूमने हुए गुजर गए | 
पता हमें  नहीं किसी चीज की बात, 
तब भी मजा आता था सभी के साथ | 
खेलना कूदना लगा रहता,
खेल खेल में लड़ता रहता | 
वह सोचने का मौका नहीं मिलता, 
फिर भी बेवजह हर चीज के लिए 
बन टन कर जिद्दी रहता | 

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई है | विक्रम कुछ न कुछ सिखने के लिए  तत्पर रहतें हैं | पढ़ाई  हमेशा  सीखते हैं और  सभी को बाँटते हैं |  विक्रम  को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक हैं | 

कविता : ठंडी का मौसम है सुहाना

" ठंडी का मौसम है सुहाना "

ठंडी का मौसम है सुहाना,
लोग कहते हैं फिर से आना |
कोहरा आस पास छाया,
यह देख तो सबको भाया |
सर्दी का दिन है सुहाना,
चाय के बिन मुश्किल है दिन बिताना |
  सर्दी फिर से आना,
नहानेसे  हमको  बचाना | 
सर्दी तुम फिर से आना | | 

कवि : कामता कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 
कवि परिचय : यह कविता कामता के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं    बहुत शौक है |  नेवई बनना चाहते हैं | पढ़ाई में बहुत मेहनत करते हैं |  अभूत ही शिष्टाचारी बालक हैं |  

मंगलवार, 21 जनवरी 2020

कविता : लगाए बैठा था आस

" लगाए बैठा था आस "

मुझे अपने आप को जो कहना था,
वो मैंने यूँ ही कह दिया |  
बस मुझे दिखता रहा वो छाया,  
जिसको मैं न ढूँढ पाया | 
अपने लिए कुछ खास,
अभी भी मेरे अंदर है | 
कुछ नया करने की प्यास, 
पर मैं लगाए बैठा था आस | 
जिसपर मुझे खुद ही नहीं था विश्वास | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो प्रयागराज   के रहने वाले हैं  समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | समीर एक संगीतकार भी हैं | समीर को  बाँटना बहुत अच्छा लगता है | 

सोमवार, 20 जनवरी 2020

कविता : यह दोस्ती

" यह दोस्ती " 

अरे यह दोस्ती है,
जो कभी भूल नहीं सकते हैं | 
अरे यह दूसरों की ख़ुशी है,
जो कभी भूल नहीं सकते | 
बीत गया जो समय 
को हम भूल सकतें हैं, 
आने वाले कल को सोच नहीं सकते | 
जीवन में बाधाएँ आती रहती हैं 
साथ में उसको सुलझाना होगा 
साथ में उसे मिटाना होगा | 
अरे यह दोस्ती है,
जो कभी भूल नहीं सकते हैं | 

कवि : अमित कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता अमित के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | अमित को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है | अमित एक बहुत ही अच्छे बालक है और पढ़ाई बहुत ही मन लगाकर करते हैं | 

कविता : बेजान सी सर्दी

" बेजान सी सर्दी "

ओस की बूंदें बता रहीं हैं,
यूँ ही सर्दी में हमें सता रही हैं | 
हथकड़ियाँ पहनाकर बंद कर दी है,
क्या बताऊँ बाहर इतनी सर्दी है | 
ठण्ड हवा सांसों में समाए,
घर में ही रहें बाहर कहीं न जाए | 
सर्द में सभी को सताती है,
सूरज को भी अपनी बातों में फसाती है | 
यह कितनी बेजान सी नरमी है,
क्या कहूं इसी का नाम सर्दी है  |  


कवि : प्रांजुल कुमार ,कक्षा : 10th , अपना घर 
कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | 

रविवार, 19 जनवरी 2020

कविता : कुछ है खास

" कुछ है खास "

देखो इन हँसी रातों को, 
क्या इनमें कुछ है खास | 
जिन पर मुझे अभी भी, 
नहीं हो रहा है विश्वास | 
मुझे क्यों हो रहा है 
कुछ अलग सा अहसास | 
 इनमें कुछ तो कुछ है नया 
जिसका जादू मुझ पर है छाया | 
फिर भी मैनें कुछ न पाया 
सिर्फ समय को है खाया | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह  कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ  हैं | समीर पढ़ लिखकर एक अच्छे  इंसान के  साथ एक अच्छे संगीतकार बनना चाहते हैं | समीर एक बहुत सी जिज्ञासु लड़का हैं |

शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

कविता : ओस

" ओस "

हम लोग नहीं जानते,
की भगवन की क्या मर्जी | 
कभी हिलाया तो कभी कपकपाए, 
क्या सर्दी है क्या सर्दी है | 
क्या किया जाए इससे निपटने के लिए, 
नहीं मन करता पानी से सटने में | 
आग जलने को हम मजबूर हैं,
सर्दी इतना क्यों मगरूर है | 
आग भी इसमें बेअसर है, 
जिधर भी देखो कोहरा आधर है | 
बात एक दम ठोस है,
घांसों पर पड़ी रहती ओस है | 

कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता अखिलेश के द्वारा लिखी गई है जो की एक बहुत अच्छे कविकार हैं | अखिलेश को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | अखिलेश पढ़लिखकर एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं और उसके लिखे बहुत मेहनत कर रहे हैं | 

बुधवार, 15 जनवरी 2020

कविता : हमारा संसार

" हमारा संसार "

कुछ बदला सा लग रहा है,
यह हमारा संसार 
कितना खूबसूरत था ये जहाँ 
जिस को मनुष्य ने कर दिया तबाह 
आसमाँ रंगीन हुआ करता था | 
बारिश भी रिमझिम हुआ करती थी 
अब काळा लगते हैं सब 
जिस पर साया है प्रदुषण का 
साँस लेना हो रहा है कठिन 
तड़प रहे हैं लाखों मरीज़ 
कुछ बदला सा लग रहा है 
यह हमारा संसार है

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक हमारा संसार कुलदीप के द्वारा  लिखी गई है | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहतें हैं |  

मंगलवार, 14 जनवरी 2020

कविता : सितारों की तरह बिखर गई

" सितारों की तरह बिखर गई "

मेरी टूटी हुई उम्मीद,
सितारों की तरह बिखर गई | 
मुझे क्या पता था की ,
मेरी जिंदगी इन्ही टुकड़ो 
पर ही संभल रही है | 
इन उम्मीदों को मैं फिर से ,
जोड़ने की कोशिश करता हूँ | 
पर क्या करूँ मैं हमेशा,
ही असफल हो जाता हूँ | 
मेरी टूटी हुई उम्मीद,
सितारों की तरह बिखर गई | 

कवि : रविकिशन , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय: यह कविता रविकिशन के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | रविकिशन ने इस कविता को बहुत मन से लिखा है | इस कविता के माध्यम से एक जुट रहने की सीख मिलती हैं | 

सोमवार, 13 जनवरी 2020

कविता : वह याद

" वह याद "

वह हर याद जो हमें कुछ न कुछ,
देने की चाहत करती है | 
जिंदगी के हर उस पल को,
ख़ुशनुमार बनाना चाहती है | 
कभी ठहरती है यादें,
और कभी यूँ ही गुजरती है | 
हवाओं के साथ बातें करते हुए,
कुछ धीरे से आवाज में चिल्लाती है | 
अपनी बात सन्देश के साथ दे जाती है | | 

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई  है जो की बिहार के नवादा जिले रहने वाले हैं | विक्रम को कवितायेँ लखने  का बहुत शौक है | विक्रम एक नेवी अफसर बनना चाहते हैं और उसके लिए बहुत तयारी कर रहे हैं |