शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

कविता : लोग

" लोग "

कैसे हैं लोग,
क्या है लोग | 
क्यों हैं लोग,
मेरे कभी समझ में न आया | 
सबसे पूछा तो सबने,
जवाब कुछ इस प्रकार दिया | 
लोग तो पागल है,
लोग लचार है | 
लोग बेकार हैं,
और कुछ बोलते है  | 
लोग ही भगवन है, 
फिर मैंने मुस्कुराया | 
और दिल को सहलाया, 
और शांत जगह बैठकर | 
ये समझाया, 
लोग समझना बेकार पहले खुद को समझो | 
क्योंकि तुम ही एक बड़ा संसार है | 

नाम : देवराज कुमार ,  कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता देवराज के द्वारा लिखी  की बिहार के रहने वाले हैं और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | देवराज को कवितायेँ लिखने    | देवराज विज्ञानं में बहुत रूचि रखते हैं साथ ही साथ विज्ञानं से जुड़े प्रयोग भी करते हैं | 

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