शनिवार, 14 दिसंबर 2019

कविता : नदी

" नदी "

नदियाँ कैसे बहती हैं,
न कभी ये थकती हैं | 
न ही ये कभी आराम करती हैं | 
नदियाँ अपने रस्ते को छोड़ देती है | 
लेकिन दूसरा बनाकर, 
अपनी मंजिल को छूती है | 
मैं भी नदियों की तरह,
बहना चाहता हूँ | 
हर एक रास्ते से मंजिल,
तक पहुंचना चाहते हैं |  

                                                                                             कवि : महेश कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता महेश के द्वारा लिखी गई है जिसमें एक नदी की प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया है | महेश को कविता लिखना बहुत अच्छा लगता है | इस कविता का शीर्षक " नदी " है | हमें भी एक नदी की तरह बहना चाहिए | जितनी भी बाधाएं हो उन बाधाओं का सामना करना चाहिए | 

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