" बरसात "
बरसात के दिन आए,
नहाने में मज़ा आए |
ये बड़ी - बड़ी बूँदें,
जब भी धरती पर कूदें |
बरसात के दिन आए
छतरी न खोल बरसात
भीगने को मन ललचाए |
नहाले इस बरसात में
भीगा ये मैदान इस जहाँ में |
कहाँ खेले बच्चे बेचारे,
बरसात के दिन आए
कवि परिचय : यह कविता कामता के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक "बरसात" है | कामता को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और हर विषय पर कविता लिख सकते हैं | इस कविता में कामता ने बरसात की विशेषताएँ बताई है | कामता एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं |