गुरुवार, 28 जून 2018

कविता : मन्द मन्द हवाएँ बहती हैं,

" मन्द मन्द हवाएँ बहती हैं "

मन्द मन्द हवाएँ बहती हैं, 
इशारा से ये कुछ कहती है |  
उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है, 
पेड़ की पत्तियों से कुछ कहती है |  
जीवन की हर साँसों में रहती है,
फूलों की खुशबू को बढ़ाती हैं | 
खुशबू को चिड़ियों तक पहुँचाते है,
कभी कभी हँसती भी है हवाएँ |  
तो पता चलता नहीं है हमको,
ठण्डी ठण्डी हवाओं को छूकर | 
मन है अपना मचलता  | | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

  

कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल हमेशा चाहते हैं की कुछ नया सीखे इसीलिए हमेशा कोशिश करते रहते हैं | प्रांजुल को गणित और विज्ञान विषय बहुत पसंद है | 

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