मंगलवार, 20 मार्च 2018

कविता : सर्दी

" सर्दी "

सर्दी की हुई विदाई,
आ गई है गर्मी भाई | 
सूरज दादा आग उगलता, 
इसमें संसार है उबलता | 
मासूम से चेहरे पर पसीना भरा, 
लू जिसको लगा वो मरा | 
सर्दी में की है खूब मस्ती, 
गर्मी में न करो जबरदस्ती | 
जो इसके चक्कर में पड़ा, 
उसकी सामत फिर आयी |  
सर्दी की हुई विदाई,
आ गई है गर्मी भाई | 

नाम : अखिलेश कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं अखिलेश मन के मौजी दिल से सच्चा | कविताओं में डैम रखते हैं और मन से लिखते हैं जिससे सभी को पढ़ने में मजे आये | बड़े होकर एक सॉकर प्लेयर बनना चाहतें हैं | 

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